Nitish Kumar Politics: बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार अक्सर चौंकाने वाला फैसला लेते रहते हैं. उन्होंने विपक्षी गठबंधन I.N.D.I.A. के संयोजक पद को ठुकराकर सियासी पारे को बढ़ा दिया है. जबकि अभी तक वह संयोजक बनने को लेकर नाराज बताए जा रहे थे. कहा जा रहा है कि इंडी गठबंधन में ज्यादा अहमियत नहीं मिलने के कारण नीतीश कुमार ने ऐसा करके एनडीए में जाने का विकल्प खुला रखा है. वैसे भी नीतीश कुमार के लिए पलटी मारना कोई नई बात नहीं है. नीतीश के साथ काम कर चुके चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर भी कहते हैं कि नीतीश जब भी एक दरवाजे को खोलते हैं तो पीछे से खिड़की और रोशनदान दोनों को खोलकर रखते हैं. यह उनकी राजनीति का स्टाइल है.


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ऐसे में सवाल ये है कि अगर नीतीश कुमार फिर से पलटी मारते हैं तो BJP को फायदा होगा या नुकसान? साथ ही नीतीश के वापस आने पर NDA का क्या स्वरूप क्या होगा? आज नीतीश कुमार और बीजेपी में क्या डील हो सकती है? क्या बीजेपी के साथ भी नीतीश कुमार ही मुख्यमंत्री रहेंगे? ये वो सवाल हैं जिन पर सबसे ज्यादा बात हो रही है. दरअसल, नीतीश अभी इंडी गठबंधन का हिस्सा हैं लेकिन इस गठबंधन में वह कब तक रहेंगे, ये कोई नहीं कह सकता है. नीतीश को जहां से भी फायदा दिखता है, वो फट से उसी के साथ हो जाते हैं. वह पिछला लोकसभा चुनाव बीजेपी के साथ मिलकर लड़े थे. लेकिन बिहार विधानसभा चुनाव के तकरीबन एक साल बाद महागठबंधन के साथ मिलकर सरकार बना ली.


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बीजेपी को फायदा होगा या नुकसान?


बता दें कि पिछला लोकसभा चुनाव बीजेपी ने नीतीश के साथ मिलकर लड़ा था. एनडीए में जेडीयू और बीजेपी ने 17-17 सीटों पर और लोजपा ने 6 सीटों पर चुनाव लड़ा था. जिसमें जेडीयू को एक सीट पर हार का सामना करना पड़ा था. बाकी 19 सीटें एनडीए के खाते में आई थी. वहीं 2020 में बीजेपी ने नीतीश कुमार के नेतृत्व में विधानसभा चुनाव लड़ा था. चुनावों में जेडीयू से ज्यादा सीटें जीतने के बाद भी अपना वादा निभाते हुए बीजेपी नेतृत्व ने नीतीश कुमार को ही सीएम बनाया. हालांकि, इसके बाद भी नीतीश ने महागठबंधन के साथ सरकार बना ली. ये दूसरी बार था जब नीतीश ने बीजेपी के साथ धोखा किया था. इसके बाद से बीजेपी खुद को मजबूत करने में जुटी है. बीजेपी ने इस बार प्रदेश की 40 में से 30 सीटों पर चुनाव लड़ने का प्लान बनाया है. बाकी 10 सीटें सहयोगियों को दी जाएंगी. 


NDA में नीतीश की ताकत कम होगी!


अगर नीतीश कुमार फिर से एनडीए में वापस आ जाते हैं तो बीजेपी को 30 सीटों पर लड़ने का ख्वाब छोड़ना पड़ेगा. हालांकि, अब जेडीयू पहले वाली स्थिति में नहीं होगी. लिहाजा उसे बीजेपी के बराबर सीटें मिलने की संभावनाएं कम नजर आ रही हैं. वहीं 2025 के विधानसभा चुनाव में नीतीश को बीजेपी के लिए सीएम की कुर्सी छोड़नी पड़ सकती है.  राजनीतिक पंडितों का कहना है कि अब बिहार में बड़े भाई की भूमिका में बीजेपी ही देखने को मिलेगी. ऐसे में सीएम वाली नीतीश कुमार को छोड़नी पड़ेगी. हां उन्हें दिल्ली जरूर बुलाया जा सकता है. अगर नीतीश को केंद्र सरकार में मंत्री पद नहीं चाहिए होगा तो किसी राज्य का महामहिम बनाया जा सकता है. 


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क्या एनडीए का स्वरूप बदलेगा?


नीतीश कुमार की वापसी का असर एनडीए के स्वरूप में भी देखने को मिलेगा. अगर एक बार मान भी लिया जाए कि चुनावी जरूरत को देखते हुए नीतीश कुमार को लेकर बीजेपी नरम रुख भी अपनाए, लेकिन बिहार एनडीए में शामिल दूसरे दलों का क्या? नीतीश कुमार की जिद की वजह से ही लोजपा रामविलास प्रमुख चिराग पासवान को एनडीए से बाहर किया गया था और नीतीश के एनडीए छोड़ने के बाद ही चिराग की रीएंट्री हुई है. अगर नीतीश कुमार वापस एनडीए में आते हैं तो क्या चिराग को फिर से एनडीए से बाहर किया जाएगा? इसी तरह से उपेंद्र कुशवाहा ने जेडीयू छोड़कर अपनी पार्टी बनाई है और नीतीश कुमार पर हमलावर रहते हैं. जीतन राम मांझी और नीतीश कुमार के संबंध भी अब पहले जैसे नहीं बचे. ऐसे सवाल ये है कि क्या चिराग पासवान, उपेंद्र कुशवाहा और जीतन राम मांझी के साथ नीतीश कुमार मंच साझा कर पाएंगे?