Lok Sabha Election 2024: क्या नीतीश कुमार जल्दी घबरा गए, उद्धव-पवार को नहीं होगा टूट से नुकसान!
Lok Sabha Election 2024 Survey: चुनाव से ठीक पहले एक निजी चैनल का सर्वे सामने आया है. इस सर्वे में मोदी तीसरी बार पूर्ण बहुमत के साथ सरकार बनाते दिख रहे हैं. हालांकि, बीजेपी का जो लक्ष्य है वह पूरा होता नहीं दिख रहा है.
Lok Sabha Election 2024 Survey: लोकसभा चुनाव में अब तकरीबन सिर्फ 100 दिनों का वक्त शेष बचा है. राम मंदिर की लहर में बीजेपी इस बार 400 सीटों की ओर देख रही है. लक्ष्य काफी बड़ा और कठिन है, हालांकि मोदी-शाह की जोड़ी को चैलेंज पसंद है. इस असाध्य लक्ष्य को साधने के लिए पीएम मोदी भी कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं. अटल बिहारी वाजपेयी से सीख लेते हुए प्रधानमंत्री मोदी अपने एक हाथ से मंडल और दूसरे हाथ से कमंडल दोनों को साधने में लगे हैं. इसी वजह से उन्होंने चुनावी साल में एक या दो नहीं बल्कि पूरे 5 भारत रत्न अवॉर्ड की घोषणा की है. मोदी का ये तीर निशाने पर लगता दिख रहा है. बिहार के पूर्व सीएम कर्पूरी ठाकुर को मरणोपरांत भारत रत्न देने की घोषणा करके नीतीश कुमार को जोड़ लिया और अब चौधरी चरण सिंह के सहारे जयंत चौधरी को भी तोड़ने की कोशिश है.
चुनाव से ठीक पहले एक निजी चैनल का सर्वे सामने आया है. इस सर्वे में मोदी तीसरी बार पूर्ण बहुमत के साथ सरकार बनाते दिख रहे हैं. हालांकि, बीजेपी का जो लक्ष्य है वह पूरा होता नहीं दिख रहा है. इस सर्वे में एक बात काफी चौकाने वाली सामने आई है. सर्वे के मुताबिक, एनडीए गठबंधन को बिहार में तगड़ा झटका लगता दिख रहा है. पिछले चुनाव में एनडीए ने बिहार की 40 में से 39 सीटों पर जीत दर्ज की थी. इस बार उपेंद्र कुशवाहा और जीतन राम मांझी के साथ एनडीए का दायरा बढ़ा है, लेकिन सीटों की संख्या घट रही है. यानी बिहार में क्लीन स्वीप वाला बीजेपी का सपना पूरा होता नहीं दिख रहा है.
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2019 के आम चुनाव में नीतीश कुमार के साथ बीजेपी ने बिहार की 40 में से 39 सीटें जीत ली थी, लेकिन इस बार गठबंधन के हिस्से में 32 सीटें आने का ही अनुमान है. इस हिसाब से एनडीए गठबंधन को 7 सीटों का नुकसान हो रहा है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की वापसी के बाद भी ये नुकसान बीजेपी आलाकमान को सोचने के लिए मजबूर कर रहा होगा. दरअसल, बिहार में क्लीन स्वीप के लक्ष्य को पूरा करने के लिए ही बीजेपी के केंद्रीय नेतृत्व ने ना सिर्फ नीतीश कुमार के लिए एनडीए के दरवाजे खोले, बल्कि उन्हें फिर से सीएम भी बना दिया. सूत्रों के मुताबिक, नीतीश कुमार की पलटी मारने वाली आदत के चलते प्रदेश में बीजेपी कार्यकर्ताओं को आलाकमान का ये फैसला पसंद नहीं आया है. शायद यही वजह है कि एनडीए को 7 सीटों का नुकसान होता दिख रहा है.
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इसी तरह से एनडीए को महाराष्ट्र में भी तगड़ा झटका लगता दिख रहा है. महाराष्ट्र में पिछली बार बीजेपी के अगुवाई वाले शिवसेना गठबंधन को 41 सीटें मिली थी, लेकिन आने वाले चुनाव में 22 सीटें मिलने का ही अंदाजा लगा है. यानी बीजेपी गठबंधन को कुल 19 सीटों का नुकसान हो रहा है. यहां उद्धव ठाकरे और शरद पवार के हिस्से आने वाली 14 सीटों को भी जोड़ दें तो संख्या 26 पहुंच जा रही है, जो बीजेपी गठबंधन से चार सीट ज्यादा है. खुद बीजेपी 16 सीटों पर जीत रही है, और बगावत कर साथ आये एकनाथ शिंदे और अजित पवार मिल कर भी 6 सीटों पर सिमट जा रहे हैं.