Lok Sabha Election 2024: लोकसभा चुनाव में अब ज्यादा वक्त नहीं बता है, लेकिन बिहार में अभी तक ना तो एनडीए और न ही महागठबंधन के अंदर सीटों का बंटवारा हो सका है. हालांकि, सीट शेयरिंग को लेकर अब दोनों खेमों में हलचल तेज हो गई है. उम्मीद की जा रही है कि अगले 10-15 दिन के अंदर सीटों का गणित सुलझ जाएगा. इस बीच पूर्व डिप्टी सीएम और राजद सुप्रीमो लालू यादव के छोटे बेटे तेजस्वी यादव ने दावा किया है कि महागठबंधन में एनडीए से पहले सीटों का बंटवारा हो जाएगा. तेजस्वी ने मंगलवार (5 मार्च) को एक प्रेस वार्ता में कहा कि हम लोग मजबूती से चुनाव लड़ेंगे और बिहार से चौंकाने वाला परिणाम आएगा. उन्होंने जन विश्वास रैली में आई भीड़ का भी आभार जताया. सीट शेयरिंग को लेकर उन्होंने कहा कि बातचीत चल रही है और जल्द ही सीटों का बंटवारा हो जाएगा. एनडीए के पहले महागठबंधन या इंडिया गठबंधन में सीट बंटवारा होगा.


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नीतीश कुमार के जाते ही महागठबंधन में सीटों का अकाल खत्म हो गया है. लेकिन तेजस्वी इस बार 2020 में हुए विधानसभा चुनाव वाली गलती नहीं दोहराना चाहते हैं. दरअसल, 2020 के चुनाव में महागठबंधन में राजद ने 144 सीटों तो वहीं कांग्रेस ने 70 सीटों पर चुनाव लड़ा था. वामदलों को 29 सीटें मिली थीं. इस चुनाव में 75 सीटों के साथ राजद सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी थी. वामदलों के हिस्से में 14 सीटें आई थीं. वहीं कांग्रेस 70   सीटों में से सिर्फ 19 सीटें ही जीत सकी थी. महागठबंधन की हार में कांग्रेस सबसे कमजोर कड़ी साबित हुई थी. इस बार तेजस्वी को जिताऊ उम्मीदवारों की तलाश है. सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, लोकसभा चुनाव में राजद अकेले 28 सीटों पर लड़ना चाहती है. वहीं लेफ्ट और कांग्रेस को 6-6 सीटें देने की बात चल रही है. एक अन्य फॉर्मूले में कांग्रेस की सीटें थोड़ी बढ़ रही हैं और वामदलों की घट रही हैं, लेकिन राजद की सीटें कम नहीं होंगी.


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वहीं तेजस्वी यादव अब राजद में हुई टूट का बदला लेने के लिए एनडीए में तोड़फोड़ करने की कोशिश में लगे हैं. उनकी नजरें एनडीए के कुछ नाराज सहयोगियों पर टिकी हुई हैं. पूर्व डिप्टी सीएम मंगलवार को इशारों-इशारों में चिराग पासवान को बुलावा भेज दिया है. एनडीए में नीतीश की वापसी से चिराग नाराज बताए जा रहे हैं. प्रधानमंत्री मोदी के कार्यक्रम से दूरी बनाकर उन्होंने इसके संकेत भी दे दिए थे. सियासी जानकारों का कहना है कि नीतीश कुमार के कारण ही चिराग पीएम की रैली में शामिल नहीं हुए थे. मंच पर उपेंद्र कुशवाहा की अनुपस्थिति भी खलती रही. दोनों नेताओं का नीतीश कुमार से मनमुटाव है. इन नेताओं की पार्टी भले छोटी हो, लेकिन अपनी बिरादरी के वोटरों में इनकी पकड़ बहुत मजबूत मानी जा रही है. अगर तेजस्वी इनमें से किसी को भी अपने साथ मिलाने में कामयाब रहे तो ये बीजेपी के लिए बड़ा झटका साबित होगा.