Bihar NDA Seat Sharing: भारतीय जनता पार्टी अभी तक लोकसभा चुनाव के लिए 2 लिस्ट जारी कर चुकी है. करीब आधी सीटों पर भाजपा ने प्रत्याशियों का ऐलान कर दिया है पर इनमें से बिहार के एक भी प्रत्याशी का ऐलान नहीं हो पाए हैं. सीट शेयरिंग न होने के कारण भाजपा ने बिहार के एक भी सीट पर प्रत्यााशी घोषित नहीं किए थे. अब चूंकि सीट शेयरिंग हो चुकी है तो माना जा रहा है कि जल्द ही भाजपा प्रत्याशियों का ऐलान भी जल्द कर देगी. भाजपा की तीसरी लिस्ट जल्द ही आने की बात कही जा रही है, जिसमें बिहार भाजपा के प्रत्याशी भी हो सकते हैं. बिहारवासियों को भाजपा की ​तीसरी लिस्ट का बेसब्री से इंतजार रहने वाला है. यह देखना दिलचस्प होगा कि भाजपा पिछली बार के 17 सांसदों में से किसका टिकट काटती है और किसे रिपीट करती है. बिहार में कुछ नेताओं की उम्र 70 पार हो गई है और इसलिए इनके टिकट कटने की अटकलें लगाई जा रही हैं. 


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2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा ने 17 सीटों पर चुनाव लड़ा था तो पूरे बिहार में एनडीए 39 सीटें जीतकर आई थीं. पूरे बिहार में एनडीए ने एक तरह से क्लीन स्वीप किया था. किशनगंज में कांग्रेस उम्मीदवार डा. मोहम्मद जावेद ने प्रचंड मोदी लहर में भी जीत हासिल की थी लेकिन बाकी पूरे बिहार में एक भी सीट विपक्षी दलों के हाथ नहीं आई थी. अब भाजपा और एनडीए के लिए चुनौती है कि वह कैसे 2019 के अपने प्रदर्शन को दोहराएगी.


सोमवार शाम को भाजपा के दिल्ली स्थित मुख्यालय में एनडीए की सीट शेयरिंग का ऐलान किया गया. भाजपा महासचिव और बिहार प्रभारी विनोद तावड़े ने सीट शेयरिंग का ऐलान करते हुए बताया, लोजपा वैशाली, हाजीपुर, समस्तीपुर, खगड़िया और जमुई लोकसभा सीट पर चुनाव लड़ेगी. भाजपा बिहार की 17 सीटों पश्चिम चंपारण, पूर्वी चंपारण, औरंगाबाद, मधुबनी, अररिया, दरभंगा, मुजफ्फरपुर, महाराजगंज, सारण, उजियारपुर, बेगुसराय, नवादा, पटनासाहिब, पाटलिपुत्र, आरा, बक्सर और सासाराम पर चुनाव लड़ने जा रही है. दूसरी ओर, जेडीयू को वाल्मीकिनगर, सीतामढ़ी, झंझारपुर, सुपौल, किशनगंज, कटिहार, पूर्णिया, मधेपुरा, गोपालगंज, सीवान, भागलपुर, बांका, मुंगेर, नालंदा, जहानाबाद और शिवहर सीट दी गई है. गया सीट जीतनराम मांझी की पार्टी को तो काराकाट उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी रालोमो को दी गई है.


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बता दें कि हाजीपुर सीट को लेकर चिराग पासवान और उनके चाचा पशुपति कुमार पारस के बीच अरसे से खींचतान चली आ रही थी. आखिरकार भाजपा ने इसमें दखल दिया और हाजीपुर सीट चिराग की झोली में डाल दी है. भाजपा के इस कदम से पशुपति कुमार पारस खासे नाराज बताए जा रहे हैं और उनका कहना है कि उनके पास विकल्प खुले हुए हैं. हालांकि भाजपा ने पशुपति कुमार पारस को गवर्नर बनने का विकल्प दिया हुआ है, लेकिन शायद पशुपति कुमार पारस को भाजपा का यह विकल्प अच्छा नहीं लगा.