Bihar Politics: बिहार में एक डील और कैसे वोट बैंक की राजनीति में भाजपा की हो गई बल्ले-बल्ले!
बिहार में भाजपा ने वोट बैंक में सेंध लगाने के लिए मोहन यादव को पटना की धरती पर उतारा था. इसके बाद पीएम मोदी ने जननायक कर्पूरी ठाकुर को मरणोपरांत भारत रत्न देने की घोषणा करके एक और दांव चल दिया था.
Bihar Politics: बिहार में भाजपा ने वोट बैंक में सेंध लगाने के लिए मोहन यादव को पटना की धरती पर उतारा था. इसके बाद पीएम मोदी ने जननायक कर्पूरी ठाकुर को मरणोपरांत भारत रत्न देने की घोषणा करके एक और दांव चल दिया था. इस सब के बीच भाजपा ने नीतीश कुमार के लव-कुश वोट बैंक में सेंधमारी के लिए उपेंद्र कुशवाहा को अपने साथ मिलाया तो वहीं दूसरी तरह बिहार में पार्टी की कमान कोइरी जाति से आने वाले सम्राट चौधरी के हाथ में सौंप दी. फिर भी भाजपा को पता था कि वह जो सपना बिहार में लोकसभा चुनाव में देख रही है वह नीतीश कुमार के बिना असंभव है.
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ऐसे में नीतीश को साथ लाने के लिए पूरी फिल्डिंग सजाई गई और इसमें सफलता भी मिली. नीतीश ने कांग्रेस, राजद और वाम दलों का साथ छोड़ NDA का दामन थामा और बिहार में 9वीं बार मुख्यमंत्री पद की शपथ ली. ऐसे में नीतीश कुमार के कैबिनेट में अगड़ा, पिछड़ा, अति पिछड़ा और दलित सभी वर्गों के नेता को स्थान दिया गया, यानी बिहार के पूरे सामाजिक समीकरण का ख्याल इसमें रखा गया है.
नीतीश कुमार 17 महीने बाद NDA में लौटे तो भाजपा के लिए यह नफे का सौदा रहा. खासकर बिहार के लिए जहां रातों रात भाजपा मजबूत स्थिति में आ गई है. अब भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने बिहार में सभी 40 लोकसभा सीटों को जितने का दावा किया है. इससे पहले भी नीतीश के साथ रहकर 2019 में 40 में से 39 सीटों पर जीत दर्ज की थी.
ऐसे में बिहार में अब भाजपा के लिए लव-कुश समीकरण मजबूत हुआ है. ऐसे में एक साथ आरसीपी सिंह, उपेंद्र कुशवाहा, सम्राट चौधरी के बाद नीतीश का भी इस गठबंधन में आ जाना सोने पर सुहागा ही है. बिहार में वैसे भी कोइरी 4.21 फीसद और कुर्मी 2.87 फीसद है यानी 7 प्रतिशत वोट बैंक पर तो भाजपा ने अपना हाथ रख दिया है. वहीं नीतीश के साथ बिहार का अति पिछड़ा वोट बैंक या अत्यंत पिछड़ा वोट बैंक रहा है जो कुल वोट बैंक का 36.01 प्रतिशत है. जिसकी कुल आबादी 13.07 करोड़ है.
पीएम मोदी की तरफ इस वोट बैंक का बड़ा झुकाव रहा है. ऐसे में नीतीश के साथ आने के बाद इस वोट बैंक के टूटने का खतरा समाप्त हो गया है. ऐसे में कर्पूरी ठाकुर को भारत रत्न देने का ऐलान और नीतीश का साथ आना भाजपा के लिए मास्टरस्ट्रोक से कम नहीं है. वहीं भाजपा ने बिहार में पासवान 5.31 फीसद, चमार यानी रविदास 5.25 फीसदी और मुसहर 3 फीसदी वोट बैंक को अपने कब्जे में रखने के लिए चिराग पासवान और पशुपति कुमार पारस के साथ ही जीतन राम मांझी को भी एनडीए का हिस्सा बना लिया है. ऐसे में SC के 10 प्रतिशत वोट बैंक को पहले ही भाजपा साध चुकी है.
अब नए मंत्रीमंडल के विस्तार में जो भाजपा ने काम किया है उसकी वजह से अन्य गैर यादव जातियों बनिया, सोनार, भाट, घटवार जैसी कई जातियां NDA के साथ हो जाएंगे. वहीं अगड़ी जातियों में से भूमिहार, राजपूत और ब्राह्मण का एक बड़ा वोट बैंक पहले से भाजपा के साथ रहा है. ऐसे में नीतीश को साथ लेकर भाजपा ने लोकसभा चुनाव 2024 के लिए ऐसा समीकरण तैयार किया है जिसके जरिए वह 50 फीसदी वोट बैंक को अपने पाले में कर लेगी.