पटना: Lok Sabha Election 2024: बिहार में राजनीतिक हलचल तेज हो गई है. जेडीयू और हम ने अपने विधायकों को अगले आदेश तक पटना में रुकने के निर्देश दिए हैं. भाजपा ने विधानमंडल दल की आपात बैठक की है. जेडीयू नेता और नीतीश सरकार में मंत्री अशोक चैधरी का कहना है कि अमित शाह ने कभी नहीं कहा कि नीतीश कुमार के लिए एनडीए के दरवाजे बंद हो गए हैं. इन सब बातों के निहितार्थ निकाले जा रहे हैं. कयास लगाए जा रहे हैं कि नीतीश कुमार एक बार फिर पाला बदल वाली राजनीति कर सकते हैं और एनडीए के पाले में जा सकते हैं. ऐसे में सवाल उठता है कि अगर नीतीश कुमार महागठबंधन छोड़कर एनडीए में वापस आते हैं तो लोकसभा चुनाव में सीट शेयरिंग की क्या स्थिति होगी.


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2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा और जेडीयू 17-17 सीटों पर चुनाव लड़े थे. भाजपा ने सभी 17 तो जेडीयू ने 16 सीटें जीती थीं. 6 सीटों पर लोजपा ने फाइट की थी और सभी 6 सीटें उसके खाते में गई थीं. इस तरह एनडीए ने बिहार की 40 सीटों में से 39 पर फतह हासिल की थी. इस बार भाजपा के साथ लोजपा के दोनों धड़े, उपेंद्र कुशवाहा की राष्ट्रीय लोक जनता दल और जीतनराम मांझी की हिन्दुस्तानी अवाम मोर्चा हैं. और अब नीतीश कुमार के भी एनडीए में शामिल होने की चर्चाएं चल रही हैं. 


पहले भाजपा की ओर से खबर आई थी कि वह 30 सीटों पर चुनाव लड़ेगी और बाकी 10 सीटें सहयोगी दलों में बांट देगी. इसमें से लोजपा के दोनों धड़ों को मिलाकर 6 सीटें, उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी को 3 सीटें और जीतनराम मांझी की पार्टी को एक सीट देने की बात कही जा रही थी. हालांकि बाद में भाजपा की ओर से एक और बात निकलकर सामने आई, जिसमें कहा गया था कि वह केवल 27 सीटों पर चुनाव लड़ेगी और लोजपा के दोनों धड़ों की सीटें बढ़ाई जाएंगी. अब अगर नीतीश कुमार की पार्टी जेडीयू भी एनडीए का हिस्सा बनती है तो फिर ये सारी कवायद नए सिरे से करनी होगी. 


2019 के लोकसभा चुनाव में चूंकि जेडीयू 17 सीटों पर चुनाव लड़ी थी और महागठबंधन में भी वह 17 सीटें ही मांग रही थी तो बहुत संभव है कि एनडीए में आने के बाद भी वह 17 सीटों पर ही फिर से चुनाव लड़े. इस तरह भाजपा और जेडीयू में 17-17 सीटों का बंटवारा हो सकता है और बाकी बची 6 सीटों पर ही सहयोगी दलों को मौका दिया जाएगा. इस तरह नीतीश कुमार के एनडीए में आने से चिराग पासवान, उपेंद्र कुशवाहा को नुकसान हो सकता है. जीतनराम मांझी की पार्टी को वैसे ही भाजपा एक सीट देने वाली है तो बाकी 5 सीटों में से ही लोजपा के दोनों धड़ों और उपेंद्र कुशवाहा को एडजस्ट करना पड़ सकता है. 


एक फाॅर्मूला यह भी हो सकता है कि जीतनराम मांझी को नीतीश कुमार अपने कोटे से सीट दे दें और चिराग पासवान या उपेंद्र कुशवाहा को भाजपा अपने कोटे से तो कुछ बात बन सकती है. अगर ऐसा नहीं होता है तो चिराग पासवान या उपेंद्र कुशवाहा की नाराजगी भी भाजपा को झेलनी पड़ सकती है. अब यह भाजपा पर निर्भर करता है कि क्या वह नीतीश कुमार के बदले उपेंद्र कुशवाहा या चिराग पासवान की नाराजगी का भार उठा पाती है या नहीं. एक सवाल यह भी अगर नीतीश कुमार की पार्टी को 17 से कम सीटें दी जाती हैं तो क्या वह इसके लिए राजी होंगे, क्योंकि इतनी ही सीटें तो वे महागठबंधन में भी मांग रहे थे तो एनडीए में आने पर वह इससे कम में क्यों सौदा करेंगे?