Nitish Kumar Govt: नीतीश कुमार ने नौवीं बार बिहार के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली तो किसी को ज्यादा आश्चर्य नहीं हुआ क्योंकि यह बिहार में नीतीश कुमार का अपना स्टाइल ऑफ पॉलिटिक्स है. जिसमें केवल कैबिनेट बदलती है और सीएम खुद नीतीश कुमार ही होते हैं. इस सब के बीच लोगों की निगाह नीतीश कुमार के साथ शपथ ग्रहण कर रहे नए मंत्रियों के चेहरे पर थी. लेकिन, इसमें से नीतीश के सबसे करीबी दो चेहरे गायब थे जिन्हें लोगों की निगाहें ढूंढ रही थी. 


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दरअसल नीतीश के द्वारा महागठबंधन का साथ छोड़ NDA में शामिल होने की पटकथा जिन भाजपा और जदयू नेताओं ने लिखी उसमें दो नाम बड़े प्रमुख रहे. पहला नाम जदयू के संजय झा का था और दूसरा नाम अशोक चौधरी का. समय-समय पर नीतीश कुमार भी इनको इशारों में अपना करीबी बताते रहे. लेकिन, आज जब नीतीश कुमार के साथ उनके मंत्रिमंडल के सहयोगी शपथ ग्रहण कर रहे थे तो इस फ्रेम से दोनों गायब थे. बिजेंद्र यादव, विजय चौधरी और श्रवण कुमार जदयू के कोटे से केबिनेट में जगह पा गए. 


संजय झा ने तो दोनों ही बार नीतीश को एनडीए के करीब लाने में बेहद अहम भूमिका निभाई. हालांकि नीतीश के मंत्रिमंडल में उनके नहीं शामिल किए जाने को लेकर एक अटकल यह भी लगाई जा रही है कि वह लोकसभा का चुनाव लड़ सकते हैं. लेकिन, वह चुनाव कहां से लड़ेंगे यह संशय है. क्योंकि मिथिलांचल के जिस हिस्से से वह आते हैं वहां की दोनों सीट मधुबनी और दरभंगा भाजपा के हिस्से की सीट है. हालांकि जब जदयू इंडिया गठबंधन का हिस्सा थी तो राजद और जदयू में दरभंगा सीट को लेकर ठनी हुई थी. इसका नजारा तब देखने को मिला था जब मोहम्मद अली अशरफ फातमी जो राजद से ही जदयू में आए थे उनके समर्थकों और संजय झा के समर्थकों के बीच जमकर नारेबाजी हुई थी और संजय झा के समर्थक भारी पड़े थे. 


नीतीश के नए मंत्रिमंडल के गठन में जातीय समीकरण का ध्यान रखा गया लेकिन सबसे ज्यादा उपेक्षित इसमें ब्राह्मण रहे. ब्राह्मणों को इस मंत्रिमंडल में अभी तक जगह नहीं दी गई है. जबकि मिथिलांचल का हिस्सा नीतीश के लिए खासा मत प्राप्त करने वाला रहा है. ऐसे में नीतीश के मंत्रिमंडल में संजय झा को जगह नहीं मिलना और विजय चौधरी को एक बार फिर से मंत्रिमंडल में जगह मिल जाना किस तरफ इशारा कर रहा है. ऐसे में नीतीश के ज्यादा नजदीकी संजय झा से विजय चौधरी नजर आने लगे हैं क्योंकि पुराने मंत्रिमंडल में जिस संजय झा और अशोक चौधरी को जगह मिली वह दोनों ही इसमें नजर नहीं आए. 


वहीं बात अशोक चौधरी की करें तो यह वही नेता हैं जो कांग्रेस से जदयू में आए और अभी तक खबरें चल रही थी कि कांग्रेस के विधायक उनके संपर्क में हैं और वह उन्हें पार्टी में शामिल कराकर पार्टी को मजबूत कर सकते हैं. जदयू के विधायक गोपाल मंडल भी इस बात का दावा कर रहे थे, लेकिन, जैसे ही मंत्रियों ने शपथ लिया स्थिति स्पष्ट हो गई इसमें अशोक चौधरी भी शामिल नहीं थे. हालांकि अभी नीतीश कुमार कैबिनेट का विस्तार होना है शायद इनको उसमें जगह मिल सके. लेकिन, आज के शपथ ग्रहण पर राजनीति के जानकार जिस तरह नजर गड़ाए बैठे थे उसमें इन दोनों का नीतीश कैबिनेट में नहीं होना तो कई सवाल खड़े कर रहा है.