Pashupati Paras News: बिहार एनडीए में बीते कुछ दिनों से मची उथल-पुथल अब एकदम शांत हो चुकी है. पूर्व केंद्रीय मंत्री पशुपति पारस भी सारे गिले-शिकवे भुलाकर पीएम मोदी के साथ आ गए हैं और एनडीए को 400 सीटें जीतने में मदद करने वाले हैं. उन्होंने अब फिर से अपने प्रोफाइल में 'मोदी का परिवार' लिख दिया है. इसके साथ ही उन्होंने एक्स पर लिखा कि पीएम नरेंद्र मोदी जी हमारे भी नेता हैं और उनका निर्णय हमारे लिए सर्वोपरि है. पूर्व केंद्रीय मंत्री ने आगे लिखा कि मोदी जी के नेतृत्व में पूरे देश में 400+ सीट जीतकर तीसरी बार रिकॉर्ड तोड़ बहुमत से NDA की सरकार बनेगी. पारस ने अपने पोस्ट में पीएम मोदी के अलावा केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यडक्ष जेपी नड्डा को भी टैग किया है. इसी के साथ उनके अगले कदम पर चल रही अटकलबाजी बंद हो गई है. 


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बता दें कि पिछले कुछ दिनों से दिवंगत नेता रामविलास पासवान का परिवार काफी चर्चा में है. पहले एनडीए में सीट शेयरिंग को लेकर चिराग पासवान नाराज बताए जा रहे थे. उन्हें जब मनाया गया तो पशुपति पारस नाराज हो गए थे. दरअसल, सीट शेयरिंग को लेकर चाचा-भतीजे में ही जंग चल रही थी. दोनों 6-6 सीटों की डिमांड कर रहे थे. सबसे ज्यादा तनातनी तो हाजीपुर सीट को लेकर थी. हालांकि, बीजेपी ने युवा चिराग पासपान पर भरोसा जताया और उनकी सारी डिमांड पूरी कर दी. इससे पशुपति पारस नाराज हो गए. अपनी नाराजगी जाहिर करने के लिए उन्होंने मोदी कैबिनेट से भी इस्तीफा दे दिया. नाराज होने के बाद पहले अपने 'एक्स' अकाउंट से पारस ने 'मोदी का परिवार' हटा लिया था. अब सवाल ये उठ रहा है कि अचानक से पशुपति पारस का मन क्यों बदल गया? 


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अचानक क्यों बदल गया मन? 


राजनीतिक पंडितों का कहना है कि पशुपति पारस के इस पोस्ट से क्लियर हो गया कि वो बिहार में लोकसभा चुनाव नहीं लड़ेंगे और उनकी पार्टी सिर्फ एनडीए प्रत्याशियों के समर्थन करने का काम करेगी. सियासी जानकारों का कहना है कि पशुपति पारस को उम्मीद थी कि एनडीए से निकलने के बाद उनको महागठबंधन में जगह मिल जाएगी. वह तेज प्रताप और तेजस्वी यादव के बयान से उम्मीदें लगाए बैठे थे. अगर कमान तेजस्वी यादव के हाथ में होती तो शायद पारस को महागठबंधन में जगह भी मिल जाती, लेकिन महागठबंधन को इस वक्त लालू यादव लीड कर रहे हैं. लालू ने जब कांग्रेस को साइड कर दिया तो पशुपति पारस को भला क्यों तवज्जो देते. महागठबंधन में सीट शेयरिंग होने के बाद पारस को मजबूरी में एनडीए में लौटना पड़ा. हालांकि, उन्होंने एनडीए छोड़ने की घोषणा नहीं की थी. 


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अब पशुपति पारस को क्या मिलेगा?


सूत्रों के मुताबिक, सीट बंटवारे से पहले ही बीजेपी के शीर्ष नेतृत्व ने पशुपति पारस के सामने उनकी उम्र को देखते हुए उन्हें किसी प्रदेश का राज्यपाल बनाने का ऑफर रखा था. लेकिन पारस अपनी जिद पर अड़े रहे. पारस इस भ्रम में रहे कि जब बीजेपी ने पार्टी के दो टुकड़े होते समय चिराग को महत्व नहीं दिया तो आगे कैसे ऐसा कर सकती है. हालांकि वह यह भूल गए कि बीजेपी ने उन्हें नहीं बल्कि नीतीश कुमार को अहमियत दी थी. सिर्फ एक सीट को लेकर उन्होंने चिराग के साथ समझौते के सारे ऑफर ठुकरा दिए और खुद ही मंत्रिमंडल से बाहर हो गए. मतलब खुद ही कुल्हाड़ी मार ली. अब उन्हें बीजेपी जो भी देगी उसी से संतुष्ट होना पडे़गा. सूत्रों के मुताबिक पारस की डील किस्मत आधारित है. अगर राज्यसभा सांसद विवेक ठाकुर नवादा से लोकसभा चुनाव जीत जाते हैं तो पशुपति कुमार पारस को उनकी जगह मिल सकती है.