RJD Muslim Candidates: लोकसभा चुनाव के लिए राजद अध्यक्ष लालू यादव की ओर से अपने हिस्से की 22 सीटों पर उम्मीदवारों के नाम फाइनल कर दिए गए हैं. पार्टी की ओर से मंगलवार (9 अप्रैल) की देर शाम को कैंडिडेट की लिस्ट भी जारी कर दी गई है. इस लिस्ट में अधिकांश नाम उन नेताओं के हैं जिन्हें पार्टी पहले ही चुनाव सिंबल दे चुकी है. सूची में लालू यादव की दो बेटियों मीसा भारती और रोहिणी आचार्य का भी नाम शामिल है. राजद के 22 उम्मीदवारों में 8 यादव और 2 मुसलमान हैं. मुस्लिम कैंडिडेट में मधुबनी से अली अशरफ फातमी और अररिया से शाहनवाज आलम को मैदान में उतारा गया है.


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 लालू यादव ने अररिया लोकसभा सीट से टिकट पाने वाले शाहनवाज आलम, पूर्व केंद्रीय गृहराज्य मंत्री तस्लीमुद्दीन के छोटे बेटे हैं. वह अररिया जिले के जोकीहाट विधानसभा से विधायक हैं. 2020 के विधानसभा चुनाव में उन्होंने असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी AIMIM की टिकट पर चुनाव लड़ा था और अपने बड़े भाई सरफराज आलम को हराया था. सरफराज RJD की टिकट पर मैदान में थे. शाहनवाज ने 2022 में AIMIM छोड़कर RJD ज्वाइन कर लिया था और महागठबंधन सरकार में मंत्री बने थे. वहीं राजद से टिकट के लालसा में तस्लीमुद्दीन के बड़े बेटे सरफराज आलम भी कतार में थे और पिछले 4-5 सालों से काफी एक्टिव नजर आ रहे थे. वह पार्टी के सभी कार्यक्रमों में बढ़-चढ़कर हिस्सा लेते थे. हालांकि, उन्हें मायूसी हाथ लगी है. 


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मधुबनी से राजद का टिकट पाने वाले पूर्व केंद्रीय मंत्री अली अशरफ फातमी हाल ही में नीतीश कुमार की पार्टी जेडीयू से राजद में आए थे और लालू ने उन्हें टिकट थमा दिया. अली अशरफ फातमी मोहम्मद अली शराफत फातमी है. 2004 से 2009 तक यूपीए की सरकार में केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय के राज्य मंत्री रहे थे. वह दरभंगा लोकसभा सीट से 4 बार सांसद रह चुके हैं. वह पहली बार 1991 में जनता दल के टिकट पर दरभंगा लोकसभा सीट से चुनाव लड़े थे और जीते थे. उसके बाद 1996 और 1998 में भी दरभंगा से चुनाव जीते. लेकिन 1999 में बीजेपी के कीर्ति आजाद से उन्हें हार का सामना करना पड़ा था. 


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अली अशरफ पहले ने लालू यादव के साथ अपने राजनीतिक करियर को शुरू किया था. 2017 में तेजस्वी यादव से अनबन के कारण आरजेडी से उन्हें निष्कासित कर दिया गया था. इसके बाद वह बहुजन समाजवादी पार्टी में चले गए थे. 2019 में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पार्टी जेडीयू में शामिल हो गए. वह दरभंगा या मधुबनी चुनाव लड़ना चाहते थे, लेकिन एनडीए में दोनों सीटें बीजेपी के पास चली गई थीं. जिसके कारण अली अशरफ ने फिर अपने पुराने घर आरजेडी में वापसी कर ली.