Bihar Politics: 'तस्वीर बहुत कुछ कहती है' और 'हर सिक्के के दो पहलू होते हैं', इन दोनों कहावतों को जोड़ दें तो बिहार कांग्रेस की स्थिति का अंदाजा लग जाता है. बिहार के सियासी गलियारों में आज से तकरीबन डेढ़ महीने पहले एक तस्वीर बहुत वायरल हुई थी. इस तस्वीर को जब कांग्रेसियों ने देखा तो गदगद हो गए. ये फोटो राहुल गांधी की भारत जोड़ो न्याय यात्रा से निकली थी. फोटो में तेजस्वी यादव और राहुल गांधी एक कार की फ्रंट सीट पर बैठे थे. पीछे वाली सीट पर मीरा कुमार और कन्हैया कुमार जैसे कुछ कांग्रेसी थे. कार की स्टीयरिंग तेजस्वी यादव के हाथों में थी. ये नजारा देखकर कांग्रेसियों ने कहा कि बिहार में राहुल गांधी को अब तेजस्वी यादव जैसा ड्राइवर मिल गया है, जो उनको सही-सलामत दिल्ली की गद्दी तक पहुंचा देगा. 


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हालांकि, महागठबंधन को राजद सुप्रीमो लालू यादव जिस तरह से लीड कर रहे हैं, उससे अब कांग्रेसियों को इस तस्वीर का सही मतलब समझ में आ रहा होगा. जैसे कार पर उस वक्त तेजस्वी का फुल कंट्रोल था, उसी तरह से महागठबंधन पर आज लालू यादव का फुल कंट्रोल है. लालू का नेतृत्व ऐसा है कि महागठबंधन में सीटों का बंटवारा किए बिना ही वह टिकट बांट रहे हैं. उनकी देखादेखी वामदलों ने भी अपने पसंद की सीटें चुन ली हैं. बस एक कांग्रेस पार्टी ही है जो सीट शेयरिंग का इंतजार कर रही है. लालू की लीडरशिप में पप्पू यादव और कन्हैया कुमार जैसे तमाम दिग्गज कांग्रेसी नेता बेटिकट हो चुके हैं. लालू यादव की लीडरशिप इतनी गजब है कि उन्होंने पहले चरण की एक भी सीट किसी सहयोगी को नहीं दी. इतना ही नहीं पप्पू यादव ने जिस लालच में अपनी पार्टी का कांग्रेस में विलय किया था, उसमें भी लालू यादव ने अड़ंगा लगा दिया और कांग्रेस नेतृत्व बड़ा असमर्थ नजर आ रहा है.


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दरअसल, पूर्णिया लोकसभा सीट के लिए पप्पू यादव की खुली घोषणा के बावजूद लालू यादव ने यहां से बीमा भारती को टिकट दे दिया. उधर पप्पू यादव भी पीछे हटने को तैयार नहीं हैं. बीमा भारती को पूर्णिया से राजद का टिकट मिलने के बाद पप्पू यादव ने भी अपनी दावेदारी पेश कर दी है. पप्पू यादव अभी तक अपने स्टैंड पर कायम हैं और साफ कहा कि पूरी दुनिया एक तरफ हो जाए, लेकिन वह पूर्णिया नहीं छोडेंगे. कांग्रेस नेता ने कहा कि वह पूर्णिया की जनता के दिल में बसते हैं. उन्होंने फिर से दोहराया कि दुनिया छोड़ दूंगा, लेकिन पूर्णिया नहीं छोडूंगा. हालांकि, अब वे कांग्रेस में हैं तो महागठबंधन धर्म का पालन करना उनकी मजबूरी बन चुकी है. मतलब कांग्रेस पार्टी कुछ कर नहीं सकती और पप्पू यादव कुछ करने के काबिल नहीं बचे. 


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कांग्रेस के देखादेखी सीपीआई ने बेगूसराय पर अपने प्रत्याशी का टिकट फाइनल कर दिया. जिसके चलते कांग्रेस नेता कन्हैया कुमार के साथ खेला हो गया. सीपीआई से 2019 का लोकसभा चुनाव लड़ चुके कन्हैया कुमार बड़ी उम्मीद लेकर कांग्रेस पार्टी में आए थे. 2021 में कन्हैया के स्वागत में पूरी कांग्रेस पार्टी हाथ जोड़े खड़ी थी. कन्हैया को पार्टी की सदस्यता दिलवाने के लिए खुद राहुल गांधी आए थे. अब जेएनयू के पूर्व अध्यक्ष के राजनीतिक करियर पर ही संकट खड़ा हो गया है. कांग्रेस के दिग्गज नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री तारिक अनवर की कटिहार सीट भी फंसी हुई है. उनको चुनाव लड़ने का मौका मिलेगा या नहीं, इसकी कोई गारंटी नहीं है. वो तो अच्छा हुआ कि कांग्रेस की वरिष्ठ नेत्री और देश की पहली महिला लोकसभा अध्यक्ष मीरा कुमार ने चुनाव नहीं लड़ने का ऐलान कर दिया, वरना उनको भी टिकट के लिए भटकना पड़ता.