Pappu Yadav News: बिहार के बाहुबली नेता पप्पू यादव के साथ तो महागठबंधन में गजब का खेला हो गया. उन्होंने जिस लालच में अपनी पार्टी का कांग्रेस में विलय किया था, उसमें राजद सुप्रीमो लालू यादव ने अड़ंगा लगा दिया और कांग्रेस आलाकमान बड़े ही असमर्थ साबित होते नजर आ रहे हैं. दरअसल, पूर्णिया लोकसभा सीट के लिए पप्पू यादव की खुली घोषणा के बावजूद लालू यादव ने यहां से बीमा भारती को टिकट दे दिया. इसकी जानकारी खुद बीमा भारती ने दी. उन्होंने मीडिया को बताया कि उनके पास पूर्णिया सीट से आरजेडी का सिम्बल है. वो 3 अप्रैल को अपना नामांकन दाखिल करेंगी. उधर पप्पू यादव भी पीछे हटने को तैयार नहीं हैं. बीमा भारती को पूर्णिया से राजद का टिकट मिलने के बाद पप्पू यादव ने भी अपनी दावेदारी पेश कर दी है. पप्पू यादव ने साफ कहा कि पूरी दुनिया एक तरफ हो जाए, लेकिन वह पूर्णिया नहीं छोडेंगे. कांग्रेस नेता ने कहा कि वह पूर्णिया की जनता के दिल में बसते हैं, पप्पू यादव ने फिर दोहराया कि दुनिया छोड़ दूंगा, लेकिन पूर्णिया नहीं छोडूंगा.


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वहीं सूत्रों के मुताबिक, लालू यादव ने पप्पू यादव के लिए कांग्रेस को मधेपुरा सीट दी है. मधेपुरा के बारे में कहावत है कि 'रोम पोप का और मधेपुरा गोप का'. यादव लैंड कही जाने वाली इस सीट से हमेशा यादव नेता को ही लोकसभा पहुंचने का सौभाग्य मिला है. खुद पप्पू यादव भी मधेपुरा से दो बार सांसद रह चुके हैं. इतना ही नहीं उन्होंने अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत इसी धरती से किया था और पहली बार विधायक बने थे. ऐसे में सवाल ये उठता है कि जब मधेपुरा पूरी तरह से पप्पू यादव के मुफीद है तो वो यहां से लोकसभा चुनाव क्यों नहीं लड़ना चाहते हैं? आखिर उनको पूर्णिया से इतना प्यार क्यों है कि वह जान देने की बात कह रहे हैं?


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पप्पू यादव को पूर्णिया से इतना प्यार क्यों?


राजनीतिक पंडित इसका जवाब दोनों सीटों के समाजिक समीकरण को बताते हैं. सियासी जानकार बताते हैं कि मधेपुरा में भले ही यादव आबादी सबसे अधिक है, लेकिन पप्पू यादव को पूर्णिया ज्यादा सुरक्षित समझ में आ रही है. दरअसल, मधेपुरा लोकसभा क्षेत्र में यादव वोटरों की संख्या करीब 22 फीसदी और मुस्लिम वोटरों की संख्या करीब 13 फीसदी है. वहीं पूर्णिया की बात करें तो यहां पर 40 फीसदी मुस्लिम मतदाता हैं और यादव आबादी भी 8 से 9 फीसदी है. ऐसे में MY समीकरण का कमाल पूर्णिया में अधिक दिख सकता है. मधेपुरा में एनडीए से भी जेडीयू नेता दिनेशचंद्र यादव पर फिर से भरोसा जताया गया है. 2019 में पप्पू यादव को उनके हाथों करारी शिकस्त देखने को मिली थी. 


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लालू यादव क्यों नहीं छोड़ना चाहते पूर्णिया?


पूर्णिया लोकसभा सीट सीमांचल के अंतर्गत आती है और इस पूरे इलाके में  MY (मुस्लिम-यादव) समीकरण काफी महत्व रखता है. लालू यादव की पार्टी राजद का कोर वोटर भी मुस्लिम-यादव ही माना जाता है. वहीं लालू यादव की पाठशाला से निकले पप्पू यादव भी मुस्लिम-यादव की राजनीति करते हैं. अब लालू कभी नहीं चाहेंगे कि कोई नेता उनकी पार्टी के कोर वोटबैंक में सेंधमारी करे. भले ही वह नेता महागठबंधन का साथी ही क्यों ना हो. इसके अलावा पूर्णिया लोकसभा सीट में MY फैक्टर हावी रहता है, लेकिन एससी-एसटी वोटर भी निर्णाय की भूमिका में रहता है. इसके बाद यहां ब्राह्मण और राजपूत वोटर हैं. लालू यादव को लगता है कि बीमा भारती को उतारने से उसके बेस वोटर मुस्लिम-यादव के साथ ही दलित मतदाताओं का साथ भी पार्टी को मिल सकता है. अगर ऐसा हुआ तो उन्हें लोकसभा चुनाव के अलावा 2025 में होने वाले विधानसभा चुनाव में अप्रत्याशित कामयाबी मिल सकती है.