Gaya Lok Sabha Seat: बिहार के गया संसदीय क्षेत्र के मतदाता शुक्रवार को अपने मताधिकार का प्रयोग कर लोकसभा में इस क्षेत्र का नेतृत्व करने वाले जनप्रतिनिधि का चुनाव करेंगे. इस चुनाव में सबसे बड़ी परीक्षा पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी की है. सबसे बड़ा प्रश्न यह है कि क्या मांझी सांसद बनने का अपना सपना पूरा कर पाएंगे. वैसे, पिछले पांच चुनावों से इस क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किसी न किसी दल के 'मांझी' ही करते रहे हैं. लेकिन, जीतन राम मांझी को अब तक यह सौभाग्य नहीं मिला. इस चुनाव में एनडीए में शामिल हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा (हम) के खाते में गई इस सीट से पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी फिर से चुनावी मैदान में ताल ठोक रहे हैं.


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मांझी इससे पहले तीन चुनाव में भाग्य आजमा चुके हैं, लेकिन मतदाताओं की पसंद नहीं बन पाए. इस चुनाव में मांझी दावा करते हैं कि इस बार उनकी जीत तय है. उन्होंने कहा कि गया ही नहीं देश की जनता ने इस बार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाले एनडीए को '400 पार' कराने का निर्णय ले लिया है. छह विधानसभा वाले इस लोकसभा क्षेत्र से कुल 14 प्रत्याशी चुनाव मैदान में भाग्य आजमा रहे हैं. लेकिन, मुख्य मुकाबला मांझी और महागठबंधन की ओर से राजद नेता और बिहार के मंत्री रहे कुमार सर्वजीत के बीच माना जा रहा है.


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18.16 लाख मतदाता वाले इस क्षेत्र में चुनाव को लेकर उत्साह है. जीतन राम मांझी नौकरी छोड़कर राजनीति में आए और पहली बार वर्ष 1980 में विधायक बने. जीतन राम मांझी ने सांसद बनने के लिए गया संसदीय क्षेत्र से अपना पहला चुनाव 1991 में कांग्रेस के टिकट पर लड़ा था और हार गए थे. इसके बाद 2014 में उन्होंने जदयू उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लड़ा. लेकिन, यहां भी उन्हें सफलता नहीं मिली और तीसरे नंबर पर रहे.


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हालांकि, लोकसभा चुनाव लड़ने के बावजूद जीतन राम मांझी बिहार के मुख्यमंत्री बन गए थे. वर्ष 2019 में हुए लोकसभा चुनाव में जीतन राम मांझी फिर से चुनावी मैदान में उतरे. इस चुनाव में एनडीए के प्रत्याशी के तौर पर जदयू नेता विजय मांझी ने उन्हें हराया. शेरघाटी, बोधगया, बाराचट्टी, गया, बेलागंज और वजीरगंज विधानसभा वाले गया लोकसभा क्षेत्र का चुनाव परिणाम जातीय समीकरण तय करते रहे हैं.


इनपुट: आईएएनएस