मृत्युंजय मिश्रा/बोकारोः जम्मू-कश्मीर के लेह में एक खास ऑपरेशन के दौरान हादसे में बोकारो के जवान प्रवीण कुमार शहीद हो गए. शनिवार को प्रवीण कुमार का पार्थिव शरीर उनके पैतृक स्थल पर पहुंचा. उनके शव को देखकर परिवार में जहां चितकार मच गई. वहीं, पूरे गांव के लोगों ने उन्हें श्रद्धांजलि दी. शहीद प्रवीण कुमार की दो बेटियों का कहना है कि वह भी अपने पिता की तरह देश की सेवा करना चाहते हैं.


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शहीद प्रवीण कुमार के शव को लेकर सिक्ख रेजिमेंट का पूरा काफिला पहुंचा था. बोकारो प्रसाशन समेत सभी लोगों ने शहीद के पूरे राजकीय सम्मान के साथ अंतिम विदाई दी. सभी को इस बात का गम है कि प्रवीण कुमार उनसे दूर हो गए लेकिन उन्हें गर्व है कि देश की रक्षा में प्रवीण ने अपनी जान भी न्यौछावर कर दी.



प्रवीण कुमार अपने पीछे दो बेटी, एक बेटा, माता-पिता और पत्नी को छोड़ गए. वर्ष 1993 में रांची के बीआरओ के जरिये सेना की सेवा में आए प्रवीण में देश सेवा का जज्बा था. इसी जज्बा के साथ सेना में आए प्रवीण कुमार ने अपने काम के तरीके से प्रोमोशन पाकर नायाब सूबेदार का पद पाया था. अभी वह सेना की 157 लाईट एडी बटालियन में तैनात थे. इसी तैनाती के दौरान वह लेह में किसी खास आपरेशन के लिए अपने वाहन से चले और हादसे का शिकार हो गए.


अपने परिवार के एक सदस्य को खोने के बाद भी प्रवीण के परिजनों का हौसला कम नहीं हुआ है. परिजन मानते हैं कि देश के काम आकर उनका सपूत अपने भारतवासी होने का कर्ज चुका गया. वहीं, उनकी बेटियां भी देश की सेवा के लिए सेना में जाना चाहते हैं. उनका कहना है कि अपने पिता की तरह वह भी बहादुर और अच्छा इंसान बनना चाहते हैं. उनकी पत्नी का कहना है कि वह एक सैनिक की पत्नी है इसलिए वह टूटेंगी नहीं बल्कि और ताकत के साथ आगे रहेंगी. हालांकि, वह अपने आसूंओं को रोक नहीं पा रही थी.


शनिवार को शहीद के सेक्टर चार स्थित आवास से उनकी अंतिम यात्रा शुरू की गयी और चास गरगा श्मशान घाट पर पूरे सैनिक सम्मान के साथ उनका अंतिम संस्कार कर दिया गया. प्रशासन ने भी अपने स्तर से सैनिक को सम्मान दिया. मौके पर बोकारो के डीसी, एसपी के साथ कई लोग पहुंचे थे.