मुजफ्फरपुर: मुजफ्फरपुर में डॉ राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय पूसा एवं राष्ट्रीय लीची अनुसंधान केंद्र द्वारा बुधवार को पूसा में प्रथम लीची शो (प्रदर्शनी) का आयोजन किया गया. लीची के प्रथम शो में जहां किसान कृषि वैज्ञानिकों से सीधे रूबरू होंगे, वहीं इस दौरान लीची खाने की प्रतियोगिता भी आयोजित की गई है. इस लीची प्रदर्शनी का उद्घाटन विश्विद्यालग के कुलपति डॉ पीएस पांडेय करेंगे.


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भारत में लीची 702.12 हजार मीट्रिक टन के उत्पादन के साथ 97.91 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में इसकी खेती होती है. बिहार में 308.08 हजार मीट्रिक टन लीची का उत्पादन होता है जबकि इसकी खेती 36.67 हजार हेक्टेयर क्षेत्रफल में होती है. बिहार सबसे बड़ा लीची उत्पादक प्रदेश है. मुजफ्फरपुर, बिहार में लगभग 70 प्रतिशत क्षेत्र में शाही लीची की खेती होती है. इसे शाही लीची की राजधानी भी कहते हैं. अबतक जितनी लीची की प्रजातियां है उसमे सर्वोत्तम शाही किस्म की लीची है.


मुजफ्फरपुर जिले की शाही लीची को भौगोलिक संकेत (जीआई टैग) का दर्जा प्राप्त है. इसके अलावा, लीची की अन्य महत्वपूर्ण किस्मों में चाइना, बेदाना, गुलाब शामिल हैं. इस शो का उद्देश्य क्षेत्र के लीची उत्पादकों के मुद्दों और जरूरतों पर ध्यान केंद्रित करना है. प्रगतिशील लीची उत्पादकों और अनुसंधान कार्यकर्ता, विद्वानों को उनकी सक्रिय भागीदारी के साथ आधिकारिक रूप से आयोजित किया जाने वाला यह पहला लीची शो है. इस क्षेत्र के किसानों और छात्रों के लिए विकसित विभिन्न तकनीकों का प्रदर्शन किया जाएगा. विभिन्न महत्वपूर्ण किस्मों के लीची फलों का प्रदर्शन किया जाएगा. लीची किसानों की लीची फलों की प्रविष्टियों का प्रदर्शन और मूल्यांकन किया जाएगा.


विश्वविद्यालय के प्रोफेसर एस के सिंह ने बताया कि इस प्रदर्शनी में एक विशिष्ट तकनीकी सत्र होगा. जिसमें लीची के विभिन्न पहलुओं पर काम करने वाले प्रतिष्ठित और वरिष्ठ शोधकतार्ओं के व्याख्यान शामिल हैं. वैज्ञानिक किसानों की बातचीत लीची शो का प्रमुख आकर्षण है. इसके अलावा छात्रों के लिए लीची खाने की प्रतियोगिता, लीची पर फोटो गैलरी, लीची पर क्राफ्ट मेकिंग और स्लोगन आदि जैसे कई आकर्षक कार्यक्रम भी आयोजित किए जाएंगे.


इनपुट- आईएएनएस


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