बगहा: नेपाल सीमा पर स्थित जिला पश्चिम चंपारण के अतिपिछड़े इलाका बगहा के आदिवासी बहुल हरनाटांड के बहुअरवा गांव में रहने वाली रामावती देवी की कोशिशों के बदौलत आज इलाके की दर्जनों महिलाएं आत्मनिर्भर बन रही हैं. दरअसल, रामावती देवी ने पति व जीविका दीदी समूह के सहयोग से पेपर प्लेट प्लांट की शुरुआत की. महिला पेपर प्लेट प्लांट लगाकर हर साल लाखों रुपये की आमदनी कर रही है.


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बता दें कि 21वीं सदी में महिलाएं आर्थिक, सामाजिक और राजनीतिक रूप से सशक्त होना चाहती हैं. यही वजह है कि आज की आधी आबादी पुरुषों के साथ कंधा से कंधा मिलाकर बेबाकी से चल रहीं हैं. जिन इलाकों को काफी पिछड़ा समझा जाता था वहां भी महिलाएं आज अब समाज की बेड़ियों को तोड़कर स्वावलंबी बनने की राह पर निकल पड़ी आत्म निर्भर बनने की ओर अग्रसर हो रही हैं. जानकारी के मुताबिक यू ट्यूब से बिजनेस का आइडिया लेकर रामावती ने जीविका समूह के दीदियों से बात की और मदद मांगी. समूह के दीदियों ने आर्थिक रूप से मदद किया तो महिला और उसके पति ने पेपर प्लेट प्लांट स्थापित किया और खुद के साथ दर्जनों महिलाओं के लिए रोजगार का सृजन कर रहीं हैं.


साथ ही अब यह बिजनेस बड़े पैमाने पर बढ़ गया है. जिससे दर्जनों दीदियों को रोजगार मिला है और उनको भी अच्छी खासी आमदनी हो रही है. जिससे रामावती इन आदिवासी महिलाओं के लिए रोल मॉडल बनकर सवावलंबन और आत्म निर्भरता की इबारत लिख रहीं नारी शक्ति का नजीर पेश कर रहीं हैं. बता दें कि नेपाल और भारत सीमा पर स्थित इस आदिवासी क्षेत्र से सटे बिहार के इकलौते वाल्मीकि टाइगर प्रोजेक्ट रिजर्व एरिया से अब पते नहीं मिल पाते हैं. लिहाजा रामावती के पति शत्रुधन पटवारी ने उनका भरपूर सहयोग कर राजधानी दिल्ली से मशीन लाकर यहां प्लांट स्थापित किया. यही वजह है कि रामावती के सपनों को पंख देकर महिलाएं रोजगार की उड़ान भर रही है.


ऐसे में जरूरत इस बात की है कि अतिपिछड़े ऐसे अन्य इलाकों में महिलाएं रामावती देवी से सबक लेकर आगे बढ़े और आत्म निर्भरता के साथ रोजगार के नए सृजन करें जिसमें पुरुष भी कदमताल होकर महिलाओं का परसपर सहयोग करें. तब वह दिन दूर नहीं जब हर परिवार खुशहाल होगा. 


इनपुट- इमरान अजीजी 


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