बगहा: देश के टॉप टेन व्याघ्र परियोजना में शुमार वीटीआर की सीमा उत्तर प्रदेश एवं नेपाल से सटी हुईं है. जिसके कारण यह टाइगर रिजर्व बेहद संवेदनशील है. यहां शिकारियों के घुसने की संभावना हमेशा बनी रहती है. बाघों की सुरक्षा के लिए यहां पैदल व हाथी गश्त का सहारा लिया जाता है. ऐसे में कभी कभार नेपाली हाथियों का झुण्ड बिहार के इकलौते वाल्मीकि टाइगर रिज़र्व जंगल में प्रवेश क़र जाता है. जिससे निपटने में VTR के ट्रेंड हाथियों की टुकड़ी तैयार औऱ तैनात है. आज वर्ल्ड एलीफैंट डे है जिसको लेकर VTR प्रशासन व प्रबंधन हाथियों को सुरक्षित व संरक्षित रखने को लेकर कई हथकंडे अपना रहा है. लिहाजा यहां कर्नाटक से वीटीआर में आए चार हाथियों को यहां टूरिज्म को बढ़ावा देने की जिम्मेदारी दी गई है.


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वन संरक्षक सह क्षेत्रीय निदेशक डॉ. नेशामणि के ने बताया कि मानसून सीजन में होने वाली तेज बारिश के कारण जंगल के कई इलाकों में जलजमाव और मिट्टी का कटाव होने लगता है. ऐसे में वाहन से आवागमन संभव नहीं हो पाता. इस समस्या से निजात दिलाने में हाथियों की एक बड़ी भूमिका काफ़ी अहम साबित हो सकती है. इसको ध्यान में रखते हुए हाथियों को पेट्रोलिंग करने की जिम्मेदारी दी गई है.


इस दौरान वन विभाग के कर्मी भी हाथियों के साथ रहते हैं. हाथियों की वजह से दुर्गम जंगली क्षेत्रों में पेट्रोलिंग अच्छे से हो पा रहा है और वन तस्कर व शिकारियों के पसीने छूट रहे हैं. तभी तो VTR में जीव जंतुओं का कुनबा लगातार बढ़ रहा है. कहने में कोई अतिश्योक्ति नहीं की जंगल और बाघों की सुरक्षा में बड़ी जिम्मेदारी VTR में गजराज के कंधों पर है क्योंकि यहां मणिकांठा, बालाजी औऱ रूपा अमृत की जोड़ी वर्षों से मोर्चा संभाल रखा है.


इनपुट- इमरान अजीज


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