बगहाः वाल्मीकिनगर में गंडक बराज फाटक से टकराकर एक मादा गैंडा की मौत हो गई. दरअसल, भारत नेपाल सीमा को बांटने वाली नारायणी गंडकी की धार में एक मादा गैंडा गंडक की धार में बहती हुई बराज तक आ पहुंची. वन कर्मियों की मौजूदगी में बराज के चार नंबर फाटक पर पहुंची गैंडा के रेस्क्यू के लिए गंडक बराज कंट्रोल रूम द्वारा फाटक को धीरे-धीरे ऊपर उठाया जाने लगा. पानी के दबाव में गैंडा डाउनस्ट्रीम की तरफ बह कर निकल गया. 


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पानी के बहाव में बह गई थी मादा गैंडा 
वन प्रमंडल 2 के डीएफओ गौरव ओझा ने बताया कि नेपाली क्षेत्र में रुक-रुक कर लगातार बारिश का सिलसिला जारी है. इस कारण नेपाल के चितवन राष्ट्रीय निकुंज के वन्य जीव पानी में बह कर कई बार वीटीआर में आ जाते हैं. इसी दौरान एक मादा गैंडा पानी के बहाव में गंडक बराज के रास्ते आ गया है. संभवत उसके शरीर में पानी ज्यादा चले जाने से उसकी मौत हो गयी है. कक्ष संख्या एम 29 चूलभटा के एंटी पोचिंग कैंप से सटे गंडक नदी में गैंडा का शव आकर किनारे लगा. गंडक बराज से ही नाव द्वारा गैंडा की मॉनिटरिंग वन कर्मियों के द्वारा न की जा रही थी.


वन विभाग ने शव का किया अंतिम संस्कार
बगहा से आये डा.एसपी रंजन के द्वारा गैंडा का पोस्टमार्टम वन संरक्षक सह निदेशक हेम कांत राय की मौजूदगी में किया गया. उसके बाद उसके शव का अंतिम संस्कार कर दिया गया. गैंडे के सभी अंग सुरक्षित हैं. उसके बिसरे को वन्य जीव संस्थान देहरादून और भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान बरेली जांच के लिए भेजा जायेगा. जांच रिपोर्ट के बाद ही उसकी मौत के वास्तविक कारणों का खुलासा हो पायेगा.


फाटक से टकराकर हुई गैंडे की मौत
जानकारी के लिए बता दें कि गंडक बराज के रास्ते सुबह गंडक नदी के पानी के बहाव में बह कर आ रहे गैंडे को देखने के बाद वन प्रशासन और सिंचाई विभाग कंट्रोल रूम के आपसी तालमेल से अगर बराज का 4 नंबर फाटक खोल दिया होता तो गैंडे की जान बच सकती थी.


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