Nalanda: बिहार का नालंदा विश्वविद्यालय, प्राचीन शिक्षा का ऐसा केंद्र जिसको आक्रांताओं ने तबाह तो कर दिया था, लेकिन शिक्षा का यह केंद्र एक बार फिर से जनसेवा के लिए शिक्षा के विश्वव्यापी प्रसार के लिए तैयार खड़ा है. 815 साल बाद नालंदा एक बार फिर से पूरी दुनिया में शिक्षा की अलख जगाने और इतिहास रचने के लिए उठ खड़ा हुआ है. ऐसे में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का राजगीर और प्राचीन नालंदा विश्वविद्यालय का दौरा होने वाला है.


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इसको लेकर एसपीजी ने दोनों स्थलों पर अपनी कमान संभाल ली है. प्रधानमंत्री के आगमन से पहले यहां की तैयारियों का जायजा लिया गया. इस दौरान नालंदा विश्वविद्यालय परिसर में एसपीजी द्वारा उच्च अधिकारियों के साथ एक विशेष बैठक भी की गई. बैठक में सुरक्षा के हर पहलू पर विचार विमर्श किया गया और कार्यक्रम के सफल संचालन के लिए कई आवश्यक निर्देश भी दिए गए.


19 जून को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी नालंदा विश्वविद्यालय के नेट जीरो परिसर का शुभारंभ करने वाले हैं, जो 455 एकड़ में 1749 करोड़ की लागत से बनकर तैयार हुआ है. साथ ही, प्रधानमंत्री प्राचीन नालंदा विश्वविद्यालय के भग्नावशेष का अवलोकन भी करेंगे और नालंदा विश्वविद्यालय परिसर में पौधारोपण करेंगे.


प्रधानमंत्री के साथ भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर, बिहार के राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, नालंदा विश्वविद्यालय के कुलाधिपति अरविंद पनगढ़िया भी मौजूद रहेंगे. इस दौरान नालंदा विश्वविद्यालय के स्थापना में अहम योगदान देने वाले कुल 17 देशों के राजदूत भी शामिल होंगे. नालंदा विश्वविद्यालय में अध्ययन कर रहे कई देशों के छात्र छात्राएं भी इस अवसर पर उपस्थित रहेंगे.


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कुलपति प्रोफेसर अभय कुमार सिंह ने बताया कि भारत को विश्व गुरु बनाने का जो हमारा लक्ष्य है, उसके प्रति यह एक और महत्वपूर्ण कदम है. उन्होंने कहा कि नालंदा विश्वविद्यालय की स्थापना से नालंदा के गौरवशाली अतीत को पुनर्जीवित करने का प्रयास किया गया है. इस परिसर में विगत सत्र में 26 देशों के बच्चे अध्ययन कर रहे थे, जिनमें उत्तरी और दक्षिणी अमेरिका, अफ्रीका, दक्षिण एशिया, और मध्य एशिया के देशों के छात्र शामिल हैं. यह पवित्र भूमि है, शांति और ज्ञान की भूमि है.


इनपुट: आईएएनएस