Nawada Lok Sabha Seat: लोकसभा चुनाव 2024 (Lok Sabha Election 2024) के पहले चरण के लिए बुधवार (17 अप्रैल) की शाम को प्रचार समाप्त हो गया. इस चरण में बिहार की 4 सीटों पर 19 अप्रैल को मतदान होगा. बिहार की जिन सीटों पर कल (शुक्रवार, 19 अप्रैल) को वोटिंग होगी, उनमें गया, जमुई, नवादा और औरंगाबाद शामिल हैं. नवादा लोकसभा सीट (Nawada Lok Sabha Seat) की बात करें तो एनडीए में यह सीट बीजेपी के हिस्से में आई है और पार्टी ने अपने राज्यसभा सांसद विवेक ठाकुर (Vivek Thakur BJP) को मैदान में उतारा है. विवेक का मुकाबला महागठबंधन में राजद प्रत्याशी श्रवण कुशवाहा (Shravan Kushwaha RJD) से है. एनडीए उम्मीदवार को राम मंदिर और मोदी फैक्टर पर पूरा भरोसा है, तो वहीं राजद की ओर से बाहरी और लोकल कैंडिडेट को खूब हवा दी गई है. एनडीए प्रत्याशी के लिए खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी वोट मांगने आ चुके हैं. वहीं राजद की ओर से तेजस्वी यादव भी खूब पसीना बहाया है. अब 19 अप्रैल को जनता अपना फैसला EVM में कैद कर देगी और 4 जून को रिजल्ट सामने आ जाएगा. अब 19 अप्रैल को जनता अपना फैसला EVM में कैद कर देगी और 4 जून को रिजल्ट सामने आ जाएगा. 


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भूमिहार और यादव बाहुल्य नवादा लोकसभा क्षेत्र में मुख्य मुकाबला तो बीजेपी और आरजेडी के बीच ही होना था. लेकिन बागियों ने इस बार पूरा गणित ही बिगाड़ दिया है. आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव के नए प्रयोग ने मुकाबले को त्रिकोणीय बना दिया है. आरजेडी के लिए बागी विनोद कुमार बड़ी समस्या बन गए हैं. विनोद ने आरजेडी का टिकट नहीं मिलने पर बगावत करके निर्दलीय पर्चा भर दिया और अब पार्टी के तीन विधायक उनका समर्थन कर रहे हैं. इससे श्रवण ठाकुर को विरोधियों से ज्यादा अपनों से खतरा है. बता दें कि विनोद कुमार जेल में बंद पूर्व मंत्री राजवल्लभ यादव के भाई और राजद विधायक विभा देवी के देवर हैं. वहीं भोजपुरी सिंगर गुंजन सिंह ने बीजेपी प्रत्याशी विवेक ठाकुर को परेशान कर दिया है. गुंजन पहले बीजेपी से टिकट मांग रहे थे, नहीं मिला तो निर्दलीय ही मैदान में कूद गए.


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नवादा में जातिगत समीकरण


नवादा में मतदाताओं की कुल संख्याा 20 लाख 06 हजार 124 है. जिसमें 10 लाख 43 हजार 788 पुरुष मतदाता और महिला मतदाताओं की संख्या 09 लाख 02हजार 186 है. इसके अलावा थर्ड जेंडर के भी 150 मतदाता हैं. जातिगत समीकरण की बात करें तो यहां भूमिहार और यादव किसी की हार-जीत में निर्णायक भूमिका निभाते हैं. कई क्षेत्रों में वैश्य समाज और मुस्लिम वोटर्स का दबदबा है, तो अति पिछड़े और दलित वोटर्स भी बड़ी संख्या में हैं. पिछले 3 लोकसभा चुनाव की बात करें तो यहां NDA का बोलबाला रहा है. 


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पिछले चुनाव का इतिहास 


नवादा लोकसभा सीट के बारे में आपको बता दें कि यह सीट जातियों के भरोसे ही जीत और हार तय करती आई है. जबकि इस सीट पर विकास कभी मुद्दा ही नहीं रहा है. इस सीट पर 1957 से लेकर आजतक चुनाव में इसको लेकर कोई खास अंतर नहीं देखा गया है. यहां जाति मुद्दे इतने प्रभावी हैं कि विकास से जुड़े तमाम मुद्दे चुनाव के समय यहां गौन हो जाते हैं. इस सीट के जातीय समीकरण ऐसे हैं कि सामान्य सीट घोषित होने के बाद से यहां बीजेपी की पकड़ काफी मजबूत हो गई है. 2009 में बीजेपी के भोला सिंह और 2014 में बीजपी के गिरिराज सिंह ने जीती थी. 2019 में यह सीट NDA गठबंधन के तहत लोजपा के हिस्से आई और यहां से लोजपा प्रत्याशी चन्दन सिंह ने जीत दर्ज की. अब फिर से बीजेपी को मिली है और बीजेपी ने विवेक ठाकुर को टिकट दिया है. हालांकि, इससे चंदन सिंह नाराज बताए जा रहे हैं.