पटना: मां सीता की श्राप को खत्म करने और फल्गू नदी की धारा को जमीन के ऊपर लाने की मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की कोशिश कामयाब होती है या नहीं ये तो आनेवाले समय में पता चलेगा. लेकिन हम आपको फल्गू की हकीकत दिखाते हैं. कैसे नदी के बालू का बालू हटाते ही पानी सामने आ जाता है. 


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गया में विष्णुपद मंदिर के बगल से बहनेवाली फल्गू नदी में पितरों का तर्पण करने के लिए देशभर से लोग आते हैं. सैकड़ों सालों से फल्गू की धारा जमीन की सतह पर नहीं बही है. माना जाता है कि सीता जी के श्राप की वजह से नदी जमीन के नीचे बहती है, लेकिन अब बिहार सरकार श्राप को खत्म करने की बात कह रही है. नदी की धार को सतह पर लाने का अध्ययन हो रहा है. 


राम, लक्ष्मण, सीता जब वन को जा रहे थे, तब उन्हें राजा दशरथ की मृत्यु की खबर मिली थी. माना जाता है कि तब सीता जी ने पिंडदान करने के लिए गया आई थीं. यहां फल्गू नदी की रेत का पिंडदान किया था. जिसके पांच साक्षियों में फल्गू नदी भी थी, तब सीता जी ब्रम्हाण को दान नहीं दे सकी थीं. जब पिंडदान के बारे में फल्गू नदी से पूछा गया था, तो उसने झूठ बोल दिया था. 


उसी समय सीता जी को क्रोध आया और उन्होंने फल्गू नदी को अंत: सलिला ( जमीन के अंदर बहने) का श्राप दे दिया था. माना जाता है कि उसी श्राप की वजह से फल्गू नदी जमीन के अंदर से बहने लगी. लेकिन इस श्राप को अब बिहार सरकार खत्म करने का मंसूबा पाले हुये है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार घोषणा कर रहे हैं और साथ ही मां सीता के श्राप की बात भी कह रहे हैं.


गया की पंडितों और पिंडदान करनेवालों को सरकार की घोषणा का विश्वास नहीं हो रहा है. ये भगवान को सरकार से बड़ा बता रहे हैं और कह रहे हैं कि उसने जो रचा है, वही होगा.


फल्गू में बहनेवाले शहर के नाले को जल्द बंद करने की मांग सब लोग कर रहे हैं. कह रहे हैं कि इससे तीर्थ की महत्ता कम होती है.


फल्गू नदी में चारों ओर रेत ही नजर आता है, जो पानी सतह पर दिखता है. वो या तो तुरंत हुई बारिश का होता है या फिर शहर के नालों का. अब सरकार नदी की धारा को सतह पर लाने की बात कह रही है.इसमें कितनी कामयाबी मिलती है, तो तो भविष्य के गर्भ में है, लेकिन फल्गू को लेकर आस्था है. वो कम नहीं होगी.