पटना नगर निगम और BUDKO दे रहा बड़े खतरे को `आमंत्रण`, ये है वजह...
पटना नगर निगम और बुडको फिर किसी बड़े हादसे का इंतजार कर रहा है. राजधानी में संप हाउस से जुड़े नाले और डिलेवरी लाइन खुले होने से राजधानी के लोगों को किसी बड़ी अनहोनी की आशंका सता रही है.
पटना: पटना नगर निगम और बुडको फिर किसी बड़े हादसे का इंतजार कर रहा है. राजधानी में संप हाउस से जुड़े नाले और डिलेवरी लाइन खुले होने से राजधानी के लोगों को किसी बड़ी अनहोनी की आशंका सता रही है. वहीं, दूसरी ओर जिम्मेदार संस्था अपनी जिम्मेदारी से बचती हुई दिखाई दे रही है.
दरअसल, राजधानी के पुनाईचक स्थित मोहनपुर संप हाउस से निकलने वाली नाले और डिलेवरी लाइन खुले हैं और इसी के करीब रोजाना पंद्रह से बीस बच्चे खेलते हैं. इसलिए यहां रहने वाले लोगों को भी बड़े हादसे का डर सता रहा है. बता दें कि, पटना के पुनाईचक इलाके में नवंबर 2018 में एक बच्चे की मौत हो गई थी.
दीपक नाम का बच्चा खेलते-खेलते पुनाईचक स्थित मोहनपुर संप हाउस के नाले में गिर गया था. इसके बाद में पटना नगर निगम ने अपनी पूरी ताकत दीपक को खोजने में लगा दी. लेकिन दीपक को नहीं ढूंढ़ा जा सका, यानि दीपक का शव भी उसके माता-पिता को नहीं मिला.
दीपक के साथ हुए, हादसे के बाद राजधानी पटना में संप हाउस से जुड़े नालों और डिलीवरी लाइन को ढ़कने का दावा किया था. लेकिन दो साल बीत जाने के बावजूद मोहनपुर संप हाउस के नालों और डिलेवरी लाइन को अब तक नहीं ढका गया है, यानि पुनाईचक इलाके के लोगों को एक बार फिर से नवंबर 2018 जैसे हादसों का सामना करना पड़ सकता है.
पुनाईचक में रहने वाले लोगों को भी इस बात का डर सता रहा है कि, अगर संपहाउस के नाले इसी तरह खुले रहे तो उसके बच्चे भी कहीं मौत का शिकार न हो जाए. राजधानी में संपहाउस और पंप हाउस के रखरखाव की जिम्मेदारी बिहार शहरी आधारभूत विकास निगम यानि बुडको (BUDKO) की है. जबकि, नालों के रखरखाव और मेनहोल की जिम्मेदारी पटना नगर निगम की होती है.
हालांकि, मोहनपुर संपहाउस के नाले और डिलेवरी लाइन का काम शुरू हुआ है. लेकिन जबतक ये बनकर तैयार नहीं हो जाता है, तबतक मोहनपुर संप हाउस का पानी पुराने डिलेवरी लाइन और नालों से होकर निकलेगा. जब नवंबर 2018 में 12 साल का दीपक मोहनपुर संपहाउस से जुड़े नाले में गिरा था, उसके बाद जोर-शोर से उसे खोजने का काम किया गया था. लेकिन उसका शव भी नहीं खोजा जा सका.
हालांकि, अगर कोई हादसा हो जाता है तो इसकी जिम्मेदारी लेने के लिए कोई तैयार नहीं है. पटना नगर निगम के मुताबिक, नालों को लेकर काम किया जा रहा है और आगे से दीपक जैसा हादसा नहीं होगा. राजधानी पटना को स्मार्ट सिटी बनाने के मकसद से करोड़ों रुपए खर्च हो रहे हैं. लेकिन इसी स्मार्ट सिटी की एक सच्चाई ये भी है कि, यहां मेनहोल खुले हैं और संपहाउस से जुड़े नालों और डिलेवरी लाइन को नहीं ढका गया है. लिहाजा अगर दीपक जैसी कोई वारदात हो जाए तो फिर इसकी जिम्मेदारी कौन लेगा.