पटना नगर निगम 2021 में करेगा नई योजनाओं की शुरुआत, स्वच्छता रैंकिंग में होगा सुधार: आयुक्त
आयुक्त हिमांशु शर्मा ने भरोसा दिया है कि साल 2020 के मुकाबले साल 2021 बेहतर होगा. कुछ नई योजनाओं की शुरुआत होगी तो स्वच्छता रैंकिंग में पटना की स्थिति और सुधरेगी.
पटना: पटना नगर निगम पूरे बिहार की सबसे बड़ी शहरी निकाय है, जिसका बजट 3500 करोड़ का होता है. साल 2020 खत्म होने वाला है और कुछ दिनों में 2021 की दस्तक भी लोगों को सुनाई देने लगेगी. ऐसे में ये जानना जरूरी हो जाता है कि काम के लिहाज से साल 2020 कैसा रहा. पटना नगर निगम ने कौन सी नई योजनाएं राजधानी के लोगों के लिए शुरू की.
साल 2019 के सितंबर-अक्टूबर में जिस तरह के जलजमाव (Waterlogging) का सामना राजधानी के लोगों ने किया था, उस लिहाज से साल 2020 बेहतर कहा जा सकता है. पटना के शहरी क्षेत्र के लोग भी मानते हैं कि निगम ने जलजमाव से निपटने में अच्छा काम किया है. दरअसल, 29 सितंबर 2019 से 10 अक्टूबर 2019 तक राजधानी के लोगों को जिस तरह से जलजमाव का सामना करना पड़ा था उसके बाद भी देशभर में पटना नगर निगम की फजीहत हुई थी.
2019 के मुकाबले साल 2020 में कहीं ज्यादा बारिश हुई. लेकिन कुछ इलाकों को छोड़ दें तो राजधानी में अगर जलजमाव हुआ भी तो उसे निगम ने अच्छी तरह से निपटाया. पटना नगर निगम के आयुक्त हिमांशु शर्मा ने भरोसा दिया है कि साल 2020 के मुकाबले साल 2021 बेहतर होगा. कुछ नई योजनाओं की शुरुआत होगी तो स्वच्छता रैंकिंग में पटना की स्थिति और सुधरेगी.
उन्होंने कहा कि हमारे लिए ये सफलता है कि जलजमाव से निपटने में हम कामयाब रहें. स्वच्छता रैंकिंग में स्थिति बेहतर हुई. अगले साल कुछ नई योजनाओं की शुरुआत करेंगे, जिससे पटना रहने वाले लोगों के लिए सुकून देने वाला शहर साबित हो सके. हालांकि हिमांशु शर्मा की बातें अपनी जगह है. ये हकीकत है कि पटना में जलजमाव पर काबू पाया गया और स्वच्छता रैंकिंग में भी स्थिति काफी बेहतर हुई है. लेकिन कई ऐसी योजनाएं हैं जिनपर निगम ने काम शुरू नहीं किया है. कई योजनाएं अधूरी रह गईं हैं.
निगम ने राजधानी में चार जगहों पर आमदनी बढ़ाने के लिए मॉल बनाने की योजना बनाई थी जिस पर काम शुरू नहीं हुआ.
पटना का इतिहास दुनिया को बताने के मकसद से पाटलिपुत्र द्वार का सात जगहों पर निर्माण होना था, इस पर कोई प्रगति नहीं हुई.
क्लब हाउस,ओपन जिम सहित रोजाना इस्तेमाल की जाने वाली सुविधाओं की शुरुआत का लक्ष्य रखा गया था. लेकिन इस पर भी कोई काम नहीं हुआ.
अफोर्डेबुल स्कीम की तहत रियायती दरों पर मकान देने की योजना बनाई गई थी. लेकिन काम शुरू नहीं हुआ.
पटना नगर निगम की प्लानिंग थी कि, योजनाओं को पूरा करने के लिए हुडको, एशिया विकास बैंक सहित दूसरी संस्थाओं से कर्ज लिया जाएगा. लेकिन बात फाइल से आगे नहीं बढ़ी. हालांकि राजधानी के लिए सुकून देने वाली बात ये है है कि देश के साफ सफाई वाले शहर में पटना 105वें पायदान पर है. जबकि साल 2019 में पटना 318वें स्थान पर था.
पटना न सिर्फ एक शहर है बल्कि ये बिहार की पहचान भी है. ये बात सही है कि सीमित संसाधन के बीच निगम को काम करना पड़ रहा है. लेकिन बेहतर बनने की या बनाने की संभावना हर वक्त रहती है. सिर्फ जलजमाव से निपटने को सफलता नहीं माना जा सकता है. निगम को इससे भी आगे बढ़कर काम करने की जरूरत है.