पटनाः Karwa Chauth Special: हिंदू पंचांग के अनुसार कार्तिक मास में कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को करवा चौथ का व्रत रखा जाता है. इस साल करवा चौथ का त्योहार 13 अक्टूबर को मनाया जा रहा है. जिसको लेकर महिलाएं अपनी तैयारियों में लगी हुई हैं. इस दिन महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र के लिए कामना करती हैं और व्रत रखती हैं. करवा चौथ के दिन विवाहित महिलाएं गौरी और गणेश की विधि-विधान से पूजा करती हैं. इसके बाद चंद्रमा को अर्घ्य देती हैं. इस पूजा के लिए महिलाएं बहुत अच्छे से सजती संवरती हैं. खास तौर पर इस दिन 16 श्रृंगार करती है. भारतीय महिलाओं में 16 श्रृंगार की बड़ी अहमियत है. लेकिन क्या आप जानते है कि 16 श्रृंगार में क्या-क्या शामिल होता है और इसका क्या महत्व होता है. 


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सिंदूर- हिंदू धर्म में सुहागिन महिलाओं के लिए सिंदूर बहुत महत्वपूर्ण माना गया है. ऐसा कहा जाता है कि सिंदूर लगाने से पति की आयु लंबी होती है. 


काजल- किसी भी स्त्री के चेहरे की सबसे खूबसूरत चीज उसकी आंखें होती हैं. आंखों की खूबसूरती बढ़ाने के लिए उनका श्रृंगार काजल से होता है. साथ ही काजल बुरी नजर से भी बचाए रखता है.


गजरा- बालों का श्रृंगार करने के लिए महिलाएं बालों को गजरे से सजाती है. जिसकी खुशबू  से त्यौहार में और उमंग का माहौल बन जाता है. 


मांग टीका- मांग टीका माथे के बीचो-बीच पहने जाने वाला एक आभूषण है. जो हर लड़की की सुंदरता को बढ़ा देता है. ऐसा माना जाता है कि नववधू को मांग टीका सिर के बीचो-बीच इसलिए पहनाया जाता है. ताकि वह शादी के बाद हमेशा अपने जीवनसाथी के साथ सही और सीधे रास्ते पर चलती रहे.


मेहंदी- महिलाएं किसी भी तीज त्योहार पर या फिर घर में कोई शुभ कार्य में अपने हाथों-पैरों में मेहंदी जरूर रचाती हैं. मेहंदी के बिना हर सुहागन स्त्री का श्रृंगार अधूरा माना है.


चूड़ियां- चूड़ियां सुहाग का प्रतीक मानी जाती हैं. ऐसा माना जाता है कि सुहागिन स्त्रियों की कलाइयां चूड़ियों से भरी होनी चाहिए. कहते हैं हाथों में कंगन या चूड़ियां पहनने से शरीर में खून चलता रहता है. शरीर में हार्मोन ठीक रहता है.


लाल जोड़ा- आमतौर से शादी के वक्त दुल्हन को शादी का लाल जोड़ा पहनाया जाता है. पूर्वी उत्तर प्रदेश और बिहार में फेरों के वक्त दुल्हन को पीले और लाल रंग की साड़ी पहनाई जाती है. इसी तरह महाराष्ट्र में हरा रंग शुभ माना जाता है और वहां शादी के वक्त दुल्हन हरे रंग की साड़ी मराठी शैली में बांधती हैं. करवा चौथ पर भी सुहागिनों को लाल जोड़ा या शादी का जोड़ा पहनने का रिवाज है.


नथ- हिंदू धर्म में सुहागिन महिलाओं की नाक में कोई न कई आभूषण पहनना जरूरी माना जाता है. इसलिए स्त्रियां अक्सर नाक में नोज पिन पहनती हैं. महिलाओं की नोज पिन को उनके सुहाग की निशानी से जोड़कर देखा जाता है. 


बिंदी- महिलाएं अपने माथे के बीचो-बीच बिंदी लगाती है. कहा जाता है कि ऐसा करने से उनके भाग्य में वृद्धि होती है.


पायल- ध्यान रहे कि पैरों में पहने जाने वाले आभूषण हमेशा सिर्फ चांदी के ही पहनने चाहिए. हिंदू धर्म में सोना को पवित्र धातु का स्थान प्राप्त है. ऐसा माना जाता है कि पैरों में सोना पहनने से धन की देवी-लक्ष्मी का अपमान होता है. 


बिछुआ- पैरों के बीच की तीन अंगुलियों में पहने जाने वाला चांदी का बिछुआ इस बात का प्रतीक होता है कि दुल्हन शादी के बाद सभी परेशानियों का हिम्मत के साथ मुकाबला करेगी.


झुमके- सोलह श्रृंगार झुमकों के बिना अधूरा-सा होता है. कहा जाता है कि महिलाओं को अपने कान सूने नहीं रखने चाहिए. झुमके को लेकर ऐसी मान्यता है कि विवाह के बाद बहू को अपने ससुराल की बुराई करने और सुनने से दूर रहना चाहिए.


बाजूबंद- महिलाओं का यह आभूषण सोने या चांदी से बना हुआ होता है. कहा जाता है इसे पहनने से परिवार के धन की रक्षा होती है.


मंगलसूत्र- शादीशुदा महिला का सबसे खास और पवित्र गहना मंगलसूत्र माना जाता है. इसके काले मोती महिलाओं को बुरी नजर से बचाते हैं. 


कमरबंद- कमरबंद कमर में पहने जाने वाला आभूषण है, जिसे स्त्रियां विवाह के बाद पहनती हैं. इसमें नववधू चाबियों का गुच्छा अपनी कमर में लटका कर रखती है. कमरबंद प्रतीक होता है कि सुहागन अब अपने घर की स्वामिनी है.


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