Aditya L1 Launched: चांद पर कदम रखने के बाद भारतीय स्पेस एजेंसी इसरो (ISRO) ने सूरज को छूने के लिए अपने कदम बढ़ा दिए है. ISRO ने आज यानी 2 दिसंबर की सुबह 11.50 बजे आदित्य L1 मिशन को श्रीहरिकोटा अंतरिक्ष केंद्र से सफलतापूर्वक लॉन्च कर दिया है. इस मिशन का उद्देश्य सूर्य का अध्ययन करना है. इसरो द्वारा आदित्य एल1 को सूर्य-पृथ्वी प्रणाली के लैरेंज प्वाइंट 1 (एल1) पर पहुंचाने की योजना है. पृथ्वी से इसकी दूरी लगभग 15 लाख किमी है. आदित्य L1 को यहां तक पहुंचने में लगभग 4 महीने का समय लग सकता है. 


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 PSLV-XL रॉकेट कुछ देर में आदित्य- L1 को पृथ्वी की निचली कक्षा में छोड़ देगा. यहां से यह धरती के चारों तरफ 16 दिनों तक 5 ऑर्बिट मैन्यूवर करके सीधे धरती की गुरुत्वाकर्षण वाले क्षेत्र से बाहर चला जाएगा. मतलब आदित्य एल-1 को भी सीधे नहीं भेजा गया है. यह चंद्रयान-3 की तरह यह भी अलग-अलग कक्षा से गुजरकर अपने गंतव्य तक पहुंचेगा. आदित्य एल1 को प्रारंभ में पृथ्वी की निचली कक्षा में स्थापित किया जाएगा. उसके बाद इसकी कक्षा को अधिक अण्डाकार बनाने वाली प्रक्रिया की जाएगी. इससे आदित्य एल1 कम ईंधन का इस्तेमाल करते हुए पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण क्षेत्र के प्रभाव से बाहर निकल जाएगा.


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आदित्य-एल1 स्पेसक्राफ्ट धरती से 15 लाख किलोमीटर दूर L1 यानी लैरेंज प्वाइंट वन पर जाएगा. वह सूरज से 14.85 करोड़ किलोमीटर दूर से सूर्य की स्टडी करेगा. बता दें कि अंतरिक्ष में जहां धरती और सूरज दोनों की ग्रैविटी आपस में टकराती है. इस प्वाइंट को ही लैरेंज प्वाइंट कहते हैं. धरती और सूरज के बीच ऐसे पांच लैंरेंज प्वाइंट चिन्हित किए गए हैं. भारत का सूर्ययान लैरेंज प्वाइंट वन यानी L1 पर तैनात होगा. दोनों की ग्रैविटी की जो सीमा है वहां कोई छोटी वस्तु लंबे समय तक रह सकती है. वह दोनों की ग्रैविटी के बीच फंसी रहेगी. 


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इस में मिशन में पहली कठिनाई है आदित्य एल1 को धरती के गुरुत्वाकर्षण से बाहर भेजना, क्योंकि पृथ्वी अपने गुरुत्वाकर्षण शक्ति से आसपास मौजूद हर चीज को अपनी ओर खींचती है. दूसरी कठिनाई है क्रूज फेज और हैलो ऑर्बिट में L1 पोजिशन को कैप्चर करना. अगर आदित्य की गति को नियंत्रित नहीं किया तो वह सीधे सूरज की तरफ चला जाएगा और जलकर खाक हो जाएगा.