आखिर 2005 में अमेरिका ने क्यों पीएम मोदी के वीजा बैन को दी थी मंजूरी
2014 में भारत के प्रधानमंत्री के तौर पर जब पीएम मोदी ने शपथ ग्राहण किया तो लोगों के बीच यह संशय की स्थिति बनी हुई थी कि पीएम मोदी के ऊपर अमेरिका ने 2005 में जो वीजा बैन लगाया था क्या वह उसे हटाएगा या अभी भी भारत का प्रधानमंत्री बनने के बाद भी नरेंद्र मोदी के अमेरिका आने पर बैन जारी रहेगा.
Patna: 2014 में भारत के प्रधानमंत्री के तौर पर जब पीएम मोदी ने शपथ ग्राहण किया तो लोगों के बीच यह संशय की स्थिति बनी हुई थी कि पीएम मोदी के ऊपर अमेरिका ने 2005 में जो वीजा बैन लगाया था क्या वह उसे हटाएगा या अभी भी भारत का प्रधानमंत्री बनने के बाद भी नरेंद्र मोदी के अमेरिका आने पर बैन जारी रहेगा. हालांकि सबको चौंकाते हुए 2014 में पीएम मोदी तत्कालिन अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा से अमेरिका में मिले. इसके बाद अमेरिका ने हर मौके पर पीएम मोदी का स्वागत पलकें बिछाकर किया.
अमेरिका ने भी माना नरेंद्र मोदी को वीजा ना देना उस पर एक दाग की तरह
बता दें कि अमेरिका ने आखिर मान लिया था कि नरेंद्र मोदी को वीजा ना देना उस पर एक दाग की तरह रहेगा. क्योंकि अमेरिका ने जिस कानून के तहत साल 2005 में नरेंद्र मोदी पर बैन लगाया था ऐसा किसी और व्यक्ति के साथ कभी नहीं हुआ था. ना तो इससे पहले इस कानून के तहत किसी को वीजा बैन किया गया था ना ही इसके बाद किसी को इस कानून के तहत रोका गया.
इस वजह से 2005 में अमेरिका ने नरेंद्र मोदी के वीजा पर लगाया था बैन
साल 2002 में हुए गुजरात दंगे में घिरे नरेंद्र मोदी तब गुजरात के सीएम थे और अदालत में उनके खिलाफ मामला भी चल रहा था. जिसमें वह पूरी तरह से बरी हो चुके हैं. लेकिन 2005 में अमेरिकी राष्ट्रपति जार्ज डब्ल्यू बुश ने गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी को अमेरिका आने के लिए वीजा देने से मना कर दिया था. इसका एक ही कारण था और वह था 2002 गुजरात में हुए दंगे जिसके चलते अमेरिका ने मोदी पर यह वीजा प्रतिबंध लगाया था.
इस कानून के तहत अमेरिका ने नरेंद्र मोदी के वीजा पर लगया था बैन
अमेरिकी कांग्रेस की तरफ से साल 1998 में पारित International Religious Freedom Act के तहत नरेंद्र मोदी को अमेरिका का वीजा देने से इंकार किया गया था. अमेरिका में सरकार पर जारी दबावों के चलते बुश प्रशासन ने नरेन्द्र मोदी पर पाबंदी लगा दी.
2012 में भी अमेरिकी सरकार पर बनाया गया था मोदी का वीजा बैन बरकरार रखने का दबाव
बता दें कि तब अमेरिका की एक अधिकारी ने साफ तौर पर कहा था कि गुजरात में 2002 में हुए दंगों में वहां के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी की भूमिका को लेकर बहुत संदेह है और उनको अमेरिका का वीजा नहीं दिया जाना चाहिए. मोदी को वीजा देने के सवाल पर अमेरिका 2014 तक इनकार करता रहा, वह मानता था कि गुजरात के सीएम रहते मोदी के समय जो दंगे भड़के उसमें मानवाधिकारों का काफी उल्लंघन हुआ था. नवंबर 2012 में तत्कालीन अमेरिकी विदेश मंत्री हिलेरी क्लिंटन को खत लिखकर एक बार फिर से मोदी पर वीजा प्रतिबंध जारी रखने का आग्रह किया गया था.
आज पीएम मोदी के लिए पलकें बिछाए इंतजार करता है अमेरिका
अमेरिका में नरेंद्र मोदी के वीजा बैन का काफी लोगों ने विरोध किया था. हालांकि भारत के प्रधानमंत्री के तौर पर शपथ लेने के बाद अमेरिका के सामने यह चुनौती थी कि वह इस वीजा बैन को आगे बढ़ाए या इसपर पुनर्विचार करे. अंततः 1998 के उस कानून जिसका विरोध अमेरिका में ही हो रहा था उसको अलग रखकर मोदी के ऊपर से वीजा बैन हटा लिया गया और अमेरिका उनके स्वागत के लिए पूरी तरह से तैयार हो गया. फिर क्या था ओबामा, डोनाल्ड ट्रंप और अब बाइडन तक पीएम नरेंद्र मोदी के स्वागत में खुद खड़े नजर आते रहे हैं. सितंबर 2014 की अपनी पहली अमेरिका यात्रा में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वहां के लोगों को अपना मुरीद बना लिया था. 8 जून 2016 का वह ऐतिहासिक दिन अमेरिका के लोग कैसे भूल सकते हैं जब अमेरिका की दोनों सदनों को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संबोधित किया था और पूरा सदन कई बार तालियों की गड़गड़ाहट से गूंजता रहा और सदस्य अपनी कुर्सी से खड़े होकर उनका अभिनंदन करते नजर आए थे.