शराबबंदी के बाद महिलाओं ने बोतलों को बना लिया कमाई का जरिया, अब इस तरह सजेगी इससे उनकी कलाईयां
बिहार मद्य निषेध, उत्पाद एवं निबंधन विभाग शराबबंदी के बाद से जिन शराब माफियाओं से शऱाब की खेप पकड़ते हैं उसकी बोतलों का इस्तेमाल इस रोजगार को तैयार करने के लिए किया जा रहा है. अभी तक विभाग की तरफ से इन जीविका दीदी को 39 टन शराब की बोतल इसके लिए मुहैया की जा चुकी है.
पटना : बिहार में महिलाओं की मांग पर 2016 में नीतीश कुमार ने पूर्ण शराबबंदी की घोषणा कर दी. बिहार में तब से ही शराब पूर्णत: बंद है. अब प्रदेश की महिलाओं ने शराब की इन खाली बोतलों को अपने लिए रोजगार के तौर पर चुन लिया. जिस शराब की वजह से महिलाओं का परिवार बर्बद हो रहा है वही शराब की बोतलें अब उनके परिवार को चलाने के लिए रकम दे रही है. दरअसल महिलाओं के लिए यह शराब की बोतलें उनको सशक्त करने का माध्यम बन गई है.
प्रदेश में खाली शराब की बोतलों से चूड़ी बनाने का काम किया जा रहा है. इसको लेकर प्रोजेक्ट भी चल रहा है. जिसपर काम हो रहा है. इस काम में जीविका दीदी लगी हुई है जो कांच की चूड़ियों के निर्माण में जुटी हैं. इस काम के लिए फिरोजाबाद जो पूरी दुनिया में कांच की चूड़ियों के लिए फेमस है के कारीगरों की मदद ले रही हैं. धीरे-धीरे इनको आत्मनिर्भर होकर इस काम को करने की प्रेरणा इससे मिल रही है.
बता दें कि बिहार मद्य निषेध, उत्पाद एवं निबंधन विभाग शराबबंदी के बाद से जिन शराब माफियाओं से शऱाब की खेप पकड़ते हैं उसकी बोतलों का इस्तेमाल इस रोजगार को तैयार करने के लिए किया जा रहा है. अभी तक विभाग की तरफ से इन जीविका दीदी को 39 टन शराब की बोतल इसके लिए मुहैया की जा चुकी है. जिससे उन्होंने 6 लाख से ज्यादा कांच की चूड़ियां तैयार की है. अभी इनके पास 30 लाख टन से ज्यादा कांच शेष बचा हुआ है.
बता दें कि कांच की इन चूड़ियों को अभी ग्रामीण इलाकों में बेचा जा रहा है लेकिन इसके उत्पादन के बढञने पर इसे शहरी क्षेत्र में भी बेचा जाएगा. बता दें कि इस प्रोजेक्ट को अभी पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर शरू किया गया है. इसके लिए सबलपुर में इकाई लगाई गई है. जहां 35 जीविका दीदी और फिरोजाबाद से आए 12-15 की संख्या में कारीगर जो इसके विशेषज्ञ हैं वह काम कर रहे हैं. अभी इस प्रोजेक्ट को और विस्तार देने की कोशिश की जा रही है.
फिरोजाबाद से आए कांच की चूड़ियों के कुशल कारीगर इन जीविका दीदी को इसके लिए बारीकियां सीखा रहे हैं. ऐसे में इनके कुशल हो जाने के बाद इस काम में तेजी आएगी. साथ ही इसके विस्तार को भी बल मिलेगा. इस प्रोजेक्ट में 100 से ज्यादा जीविका दीदीयों को जोड़ने का लक्ष्य है. यहां बड़ी भट्ठी पर पहले कांच को गलाकर तरल बनाया जाता है और फिर इसे चूड़ियों का आकार दिया जाता है. भट्ठी के लिए एलपीजी सिलेंडर इंस्टॉल किया गया है. इस प्रोजेक्ट के लिए सबसे ज्यादा 22, 723 किलोग्राम शराब की बोतल मुजफ्फरपुर से और सबसे कम खगड़िया से 190 किग्रा बोतलें मिलीं हैं.