बिहार शिक्षक नियुक्ति नियमावली में संशोधन से महागठबंधन में फूट! भाकपा माले ने इसे युवाओं के खिलाफ बताया
बिहार मंत्रिमंडल की मंगलवार को हुई बैठक में शिक्षक नियुक्ति नियमावली संशोधन के प्रस्ताव को मंजूरी दी गई थी. इसके तहत बिहार में विद्यालय शिक्षक के पद पर नियुक्ति के लिए अब बिहार के स्थायी निवासी होने की अहर्ता अनिवार्य नहीं है.
Patna: बिहार में शिक्षकों की भर्ती के लिए किसी भी भारतीय नागरिक को आवेदन करने की सुविधा देने के नीतीश कुमार सरकार के निर्णय का विरोध करते हुए भाकपा माले ने बुधवार को इस फैसले को तत्काल वापस लेने की मांग की.
भाकपा माले के बिहार सचिव कुणाल ने बुधवार को एक बयान जारी कर कहा, 'राज्य में शिक्षकों की भर्ती में 'डोमिसाइल' (स्थानीय नागरिक) नीति को हटाने का सरकार का निर्णय बेहद अनुचित और शिक्षक की तैयारी कर रहे बिहार के युवाओं के खिलाफ है. देश में झारखंड, मध्य प्रदेश सहित कई राज्य हैं जो राज्य सरकार की नौकरियों में 'डोमिसाइल' नीति का पालन कर रहे हैं.'
उन्होंने कहा, 'हमारी पार्टी हमेशा शिक्षकों और बेरोजगार युवाओं के हितों के लिए लड़ती है. जब बिहार में हजारों बेरोजगार युवा शिक्षक की नौकरी के लिए तैयारी कर रहे हैं, वैसी स्थिति में सरकार का यह फैसले स्वीकार्य नहीं है . राज्य सरकार को अपने फैसले की समीक्षा करनी चाहिए. जो लोग सरकार में हैं अगर वे राज्य कैबिनेट के इस फैसले को यह कहकर उचित ठहराते हैं कि बिहार में प्रतिभा की कमी है तो इससे राज्य में शिक्षा की गुणवत्ता पर सवालिया निशान लगाता है.' बिहार मंत्रिमंडल ने मंगलवार को एक ऐसे प्रस्ताव को मंजूरी दी जिसमें राज्य में शिक्षकों की भर्ती में प्रदेश का नागरिक होना होने की अहर्ता की अनिवार्यता समाप्त कर दी गयी है और अब कोई भी 'भारतीय नागरिक' इसके लिए आवेदन कर सकता है.
दरअसल, बिहार मंत्रिमंडल की मंगलवार को हुई बैठक में शिक्षक नियुक्ति नियमावली संशोधन के प्रस्ताव को मंजूरी दी गई थी. इसके तहत बिहार में विद्यालय शिक्षक के पद पर नियुक्ति के लिए अब बिहार के स्थायी निवासी होने की अहर्ता अनिवार्य नहीं है. नियोजित शिक्षक संघ और अभ्यर्थियों का कहना है कि स्थानीयता को समाप्त करना स्थानीय छात्रों के साथ भद्दा मजाक है. उन्होंने कहा कि अब आंदोलन और तेज किया जाएगा.
(इनपुट भाषा के साथ)