नीतीश तेजस्वी ही नहीं, अमित शाह ने अपने दांव से चिराग और कुशवाहा की भी बढ़ा दी टेंशन!
बिहार में भाजपा का प्लान क्या है यह तो विपक्ष को भी समझ में नहीं आ रहा है. दरअसल बिहार के रास्ते भाजपा एक बार फिर से दिल्ली दरबार में अपना परचम बुलंद करना चाहती है. 2024 से पहले भाजपा ने इसके लिए जो तैयारी की है वह तो विपक्ष के भी समझ से बाहर है.
पटना : बिहार में भाजपा का प्लान क्या है यह तो विपक्ष को भी समझ में नहीं आ रहा है. दरअसल बिहार के रास्ते भाजपा एक बार फिर से दिल्ली दरबार में अपना परचम बुलंद करना चाहती है. 2024 से पहले भाजपा ने इसके लिए जो तैयारी की है वह तो विपक्ष के भी समझ से बाहर है. हालांकि इसका पूरा प्लान भाजपा के चाणक्य अमित शाह समझा गए. पर विपक्षी दल इससे कुछ सीख ले तभी तो. दरअसल अपने दो दिवसीय दौरे पर बिहार पहुंचे शाह ने साफ कर दिया कि बिहार में भाजपा कैसे 2024 के चुनाव में उतरने वाली है.
केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने नवादा की रैली में मंच से साफ कर दिया कि अब NDA में नीतीश कुमार की एंट्री संभव नहीं है. उन्होंने मंच से अगला बयान जो दिया वह तो भाजपा पर भरोसा करनेवाले कुछ दलों के लिए भी परेशानी का संदेश दे गया. दरअसल अमित शाह ने मंच से साफ कर दिया कि बिहार में 40 सीटों पर भाजपा के उम्मीदवार जीत दर्ज करेंगे. 40 सीटों पर भाजपा की जीत का दावा, मतलब भाजपा बिहार में सभी 40 लोकसभा सीटों पर अकेले चुनाव लड़ेगी.
चलो नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव तो मिलकर भाजपा के खिलाफ खड़े हैं तो ज्यादा बड़ी बात नहीं है कि उनके खिलाफ शाह ने लकीर खींच दी है लेकिन पशुपति कुमार पारस, उपेंद्र कुशवाहा और चिराग पासवान तो अब धीरे-धीरे भाजपा के करीब आ गए थे. ऐसे में शाह ने इशारों ही इशारों में इनको भी संकेत दे दिया कि बिहार में इस बार भाजपा अकेले बिहार की राजनीति में हंगामा करने की तैयारी में है.
इतना ही नहीं वह नवादा से भी भाजपा के उम्मीदवार के जीत का दावा करने के साथ यह भी कह आए कि इस सीट से भी भाजपा अपने उम्मीदवार उतारेगी. यहां से अभी चंदन सिंह सांसद हैं जो लोजपा से हैं. मतलब साफ है कि अब बिहार में भाजपा एकला चलो के सिद्दांत पर आगे बढ़ने वाली है. वैसे अमित शाह के इस बयान के बाद से सबसे ज्यादा परेशानी नीतीश तेजस्वी की नहीं बल्कि कुशवाहा, चिराग और पशुपति पारस की बढ़ गई है.
पशुपति पारस तो केंद्र में मंत्री और NDA का हिस्सा हैं. चिराग लगातार बिहार के उपचुनावों में भाजपा के समर्थन में खड़े रहे, वहीं उपेंद्र कुशवाहा भी नीतीश से अलग होने के बाद भाजपा से संबंध मजबूत करने की राह पर चल निकले थे लेकिन अमित शाह के इस संकल्प को सुनकर तो सबके होश उड़ गए हैं!.