Bihar-Jharkhand School Education: इस मामले में बिहार से 12,500 तो झारखंड से 32,500 गुना आगे निकला अंडमान-निकोबार
School Education in Bihar and Jharkhand: राजनेताओं के मुंह से अकसर आप शिक्षा और चिकित्सा के अलावा नौकरी या फिर रोजगार को लेकर तरह तरह के भाषण सुनते आए होंगे, लेकिन देश की आजादी के 75वें साल में भी हमारे बच्चे अगर स्कूल तक नहीं जा पा रहे हैं तो समझ लीजिए कि सिस्टम में कहीं न कहीं खामी है.
Bihar-Jharkhand School Education: सोचकर देखिए! हम अंडमान और निकोबार द्वीपसमूह से भी पिछड़े हुए हैं. हमारा बौद्धिक इतिहास हमें चिढ़ा रहा है और वर्तमान हमें आंखें दिखाते हुए भविष्य को लेकर चेता रहा है. यदि हम अब भी ना चेते तो फिर आने वाली पीढ़ियां हमें कभी माफ नहीं करेंगी. अंडमान से हम बिहार की तुलना इसलिए कर रहे हैं कि वहां स्कूल न जाने वाले बच्चों की संख्या केवल 2 है और बिहार में यह आंकड़ा 25,000. झारखंड तो और भी निराश करता दिख रहा है. वहां स्कूल न जाने वाले बच्चों की संख्या 65,000 है. कारण, समस्या और हल के पीछे पड़ने से ही इसका समाधान हो सकता है. समस्या से भागे तो भागते ही रहेंगे. फिर अपने समृद्ध इतिहास की माला पहनते रहिए, क्या फर्क पड़ता है.
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दरअसल, ये आंकड़े 2024-25 के पहले 8 महीनों के हैं. पूरे देशभर में ऐसे 11.70 लाख बच्चे स्कूलों में नहीं जा पा रहे हैं. मतलब यह कि शिक्षा के क्षेत्र में चुनौतियां बढ़ी हैं, कम नहीं हुई हैं. सर्व शिक्षा अभियान, स्कूल चलो अभियान की अपार सफलता के बाद भी हम अगर इस आंकड़े तक पहुंचे हैं तो जरूर कोई खामी हमारे सिस्टम में बनी हुई है, जिसे हम दूर नहीं कर पा रहे हैं. शिक्षा राज्य मंत्री जयंत चौधरी ने संसद में एक सवाल के जवाब में ये आंकड़े पेश किए.
सबसे खराब स्थिति उत्तर प्रदेश की स्कूली शिक्षा की है, जहां 7 लाख 85 हजार छात्र स्कूल नहीं जा पा रहे. बिहार में 25,000 बच्चे तो झारखंड में 65,000 बच्चे स्कूल नहीं जा पा रहे हैं. असम में 64,000, गुजरात में 54,500, मध्य प्रदेश और हरियाणा में 30 से 40 हजार बच्चे स्कूल नहीं जा पा रहे हैं. दिल्ली, जहां शिक्षा को लेकर तमाम दावे किए जाते हैं, वहां भी करीब 18,300 बच्चे स्कूल शिक्षा से दूर हैं.
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सरकार का कहना है कि शिक्षा संविधान की समवर्ती सूची में आता है, लिहाजा ज्यादातर राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के अधिकार क्षेत्र में ही शिक्षा व्यवस्था आती है. ये राज्य जो आंकड़े उपलब्ध कराते हैं, वहीं आंकड़े सरकार बता रही है. बड़े बड़े राज्यों की तुलना में केंद्र शासित प्रदेशों ने शिक्षा के क्षेत्र में बेहतरीन प्रदर्शन किया है. लद्दाख और लक्षद्वीप में एक भी छात्र बिना स्कूली शिक्षा के नहीं मिलेगा. पुड्डूचेरी में 4 तो अंडमान और निकोबार द्वीपसमूह में केवल 2 छात्र स्कूल नहीं जा पाए हैं.