Independence Day 2024: आज भारत की स्वतंत्रता के 78 साल पूरे हो जाएंगे. स्वतंत्रता संग्राम की कई कहानियां हमने सुनी हैं, लेकिन कुछ महत्वपूर्ण घटनाएं और स्वतंत्रता सेनानी समय के साथ भुला दिए गए हैं. देश की आजादी की लड़ाई में केवल पुरुष ही नहीं, बल्कि महिलाओं ने भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. बहुत सी महिलाओं ने अपने बलिदान से स्वतंत्रता आंदोलन को मजबूत किया. रानी लक्ष्मीबाई, सावित्रीबाई फुले, कस्तूरबा गांधी, लक्ष्मी सहगल, सरोजिनी नायडू और बेगम हजरत महल जैसे नाम आज भी इतिहास में स्वर्ण अक्षरों से लिखे गए हैं. लेकिन बिहार की कुछ वीरांगनाओं के बारे में भी जानना महत्वपूर्ण है जिन्होंने आजादी के लिए खुद को समर्पित किया.


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कौन थी स्वतंत्रता सेनानी राम प्यारी
जानकारी के अनुसार राम प्यारी देवी एक प्रमुख स्वतंत्रता सेनानी थीं. उनका विवाह जगत नारायण लाल से 12 मार्च 1930 को हुआ था. उसी साल 30 मार्च को उन्होंने नमक सत्याग्रह में भाग लिया, जिसके लिए उन्हें एक साल की जेल हुई. उनकी लोकप्रियता इतनी थी कि उन्होंने अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी की सदस्यता के चुनाव में किसान नेता सहजानंद सरस्वती को हराया. वह 1939 तक इस पद पर रहीं और अपने राजनीतिक भाषणों के कारण कई बार गिरफ्तार भी हुईं.


नमक आंदोलन के दौरान हुई थी गिरफ्तार
विंध्यवासिनी देवी भी स्वतंत्रता संग्राम की प्रमुख नेता थीं. 1919 में गांधी जी से मिलने के बाद उन्होंने सामाजिक कार्यों में अपना जीवन समर्पित कर दिया. वह कांग्रेस की स्थायी सदस्य भी बनीं. विंध्यवासिनी देवी की देशभक्ति ने बहुत से लोगों को प्रेरित किया. उन्होंने अपनी बेटियों को विदेशी सामान और शराब की बिक्री का विरोध करने के लिए प्रेरित किया. 1930 में नमक आंदोलन के दौरान उन्हें अन्य महिलाओं के साथ गिरफ्तार कर लिया गया. बाद में 1932 में उन्हें मुजफ्फरपुर जेल भेजा गया और कन्या स्वयं सेविका दल को अवैध घोषित कर दिया गया.


बता दें कि इन दोनों वीरांगनाओं ने अपने बलिदान और समर्पण से स्वतंत्रता संग्राम को नई दिशा दी और आज भी उनकी कहानियां हमें गर्व और प्रेरणा देती हैं.


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