आजादी से पहले या आजादी के बाद, बिहार में हिंसा और उपद्रव का रहा है लंबा इतिहास
Bihar Violence: बिहार में हिंसा का एक अपना लंबा इतिहास रहा है. चाहे आजादी के पहले हो या आजादी के बाद, एक अंतराल पर हिंसा और तनाव का एक पूरा दौर इस राज्य ने देखा है.
Bahraich Violence: नवरात्र के बाद उत्तर प्रदेश का बहराइच दंगों की आंच में बुरी तरह झुलस रहा है. पिछले साल बिहार के 5 जिलों में रामनवमी के बाद इसी तरह की चिंगारी सुलगी थी और जगह जगह पथराव होने लगे थे. प्रशासन पर आरोप लगा कि वह कानून व्यवस्था को संभालने में नाकाम साबित हो रहा है. हालांकि बिहार में पिछले साल तक लंबे समय से हिंसा नहीं हुई थी. वैसे, देखा जाए तो बिहार में सांप्रदायिक हिंसा का इतिहास रहा है. आजादी के बाद बिहार में कई छोटे बड़े दंगे हुए हैं.
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भारत विभाजन के समय तो देश चहुंओर जल रहा था और बिहार इसके लिए अपवाद नहीं था. तब बिहार में भी सैकड़ों की मौत हुई थी. उसके बाद भागलपुर दंगा आजाद भारत में बिहार का सबसे बड़ा दंगा कहा जा सकता है. अविभाजित बिहार में आपको रांची का उर्दू भाषा को लेकर हुआ दंगा याद ही होगा. इसके अलावा जमशेदपुर और हजारीबाग में भी कई दंगे हुए थे.
राम मंदिर आंदोलन के समय भी बिहार कई बार छोटे बड़े दंगों की आग में झुलसा. उससे पहले भागलपुर दंगे में तकरीबन 1000 से अधिक लोग मारे गए थे. यह दंगा भागलपुर के 18 प्रखंडों के 194 गांवों में फैला था. कई महीनों तक चले इस दंगे में 1100 लोगों की जान गई थी. इस दंगे से राज्य में कांग्रेस राज का खात्मा हो गया और लालू राज का उदय हुआ था. वैसे तो भागलपुर में पहले भी दंगे होते रहे थे. चाहे 1936 का दंगा हो या 1946 का या फिर 1967 का, लेकिन 1989 के दंगों की व्यापकता बहुत भयावह थी.
इसी तरह बिहारशरीफ भी दंगों की आग में झुलसता रहा है. यहां 2000 ई. में एक दंगा भड़का था पर उस पर तत्काल काबू पा लिया गया था. 1981 के बिहारशरीफ के दंगे में सैकड़ों लोगों की जान गई थी. बताया जाता है कि उस समय एक सप्ताह तक बिहारशरीफ दंगे में झुलसता रहा था.
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1992 में बिहार के सीतामढ़ी में भी हिंसा भड़की थी, जिसमें 65 लोग मारे गए थे और सैकड़ों घायल हो गए थे.