Bettiah: नेपाल में हुई भारी बारिश के बाद उत्तर बिहार (North Bihar) के कई जिलों में बाढ़ आ गई है. इस बाढ़ का सबसे ज्यादा कहर चंपारण पर टूटा है. पूर्वी और पश्चिमी चंपारण के 18 प्रखंड यानि करीब-करीब पूरी चंपारण इलाका बाढ़ (Flood) की चपेट में है. जो नदियां अन्य मौसम में सूखी रहती थी या फिर जिसके अस्तित्व को लेकर लोग गंभीर नहीं होते थे, उनमें भी आज सैलाब उमड़ा हुआ है. पश्चिम चंपारण के लौरिया का अशोक स्तंभ डूबने की कगार पर है. 


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घरों में पानी, मुश्किल में जिंदगी


पश्चिम चंपारण का पिपरासी, लौरिया, नरकटियागंज, रामनगर और मझौलिया के कई गांव बाढ़ से प्रभावित हैं. नेशनल हाइवे पर कई फीट पानी बह रहा है. लोगों के घरों में पानी प्रवेश कर चुका है और घरों से बाहर निकलने के लिए लोग नाव का सहारा ले रहे हैं. यूं तो पूरे उत्तर बिहार में बाढ़ ने कहर बरपाया है, लेकिन पूर्वी और पश्चिमी चंपारण बाढ़ से बुरी तरह प्रभावित है. पहाड़ी नदियों में उफान के कारण बाढ़ के हालात बेकाबू हो गए हैं. इधर, पूर्वी चंपारण के सुगौली नगर पंचायत में भी हालात बद से बदतर हो रहे हैं. लोग अपने मवेशियों के साथ ऊंची जगहों पर शरण लिए हुए हैं.


चंपारण पर सिकरहना का सितम!


चंपारण के सिरहाने में बहने वाली सिकरहना का सितम ऐसा है, जिसे देख कर आप सहम जाएंगे. सिकरहना यहां से बहने वाली बूढ़ी गंडक का ही एक नाम है. आम दिनों में इस नदी में उतना पानी नहीं होता, लेकिन इस समय इस नदी में पानी अपने उफान पर है. सिकरहना के कहर का सबसे बुरा असर सुगौली और मोतिहारी शहर के आसपास के लोगों पर हुआ है. बेघर लोग सड़कों पर आसरा ले रहे हैं. 


लोगों का कहना है कि एक तरफ उनसे कुदरत नाराज है, तो वहीं सरकारी सुविधाओं से भी लोग वंचित हैं. मोतिहारी के बंजरिया ब्लॉक में भी बाढ़ ने भारी तबाही मचाई है. सरकारी सुविधा के नाम पर कुछ जगहों पर सामुदायिक किचन चलाये जा रहें हैं. साथ ही NDRF और SDRF की टीमें प्रभावित इलाके में तैनात की गई हैं. जो लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाने के साथ-साथ बाढ़ के हालात पर नजर रखे हुए है.


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वहीं, बिहार की डिप्टी सीएम और आपदा प्रबंधन विभाग की मंत्री रेणु देवी ने बाढ़ प्रभावित इलाकों पर नजर रखने की बात कही है. उन्होनें कहा कि जिन-जिन जिलों में बाढ़ से प्रभावित लोग हैं, उन पर सरकार का पूरा ध्यान है. गांव में फंसे लोगों को रेस्क्यू कर निकाला जा रहा है.  लोगों के खाने के लिए सामुदायिक किचन की व्यवस्था की गई है. आपदा प्रबंधन विभाग किसानों के फसल की क्षतिपूर्ति भी देंगे.'  फिलहाल सरकार के आश्वासन और कुदरत के आसरा पर बाढ़ प्रभावित इलाकों के लोग नदियों के जलस्तर कम होने का इंतजार कर रहे हैं.