बिहार में विपक्ष की `तख्तापलट` की तैयारी, NDA भी पलटवार को तैयार, कौन करेगा `खेला`?
बिहार (Bihar) में सत्तापक्ष और विपक्ष के बीच एक सवाल खूब उछल रहा है कि `कौन करेगा खेला`? वर्तमान सरकार को बने अभी एक साल का भी वक्त नही हुआ है.
Patna: बिहार (Bihar) में सत्तापक्ष और विपक्ष के बीच एक सवाल खूब उछल रहा है कि 'कौन करेगा खेला'? वर्तमान सरकार को बने अभी एक साल का भी वक्त नही हुआ है. लेकिन विपक्ष ने तख्तापलट की तैयारी शुरु कर दी है. NDA की सरकार गिराकर बिहार में महागठबंधन सरकार बनाने का दावा किया जा रहा है. विपक्ष ने एक बार फिर कहा कि 15 अगस्त को तेजस्वी यादव (Tejashwi Yadav) मुख्यमंत्री के तौर पर झंडा फहराने जा रहे हैं'. विपक्ष के इस दावे के बाद बिहार की सियासी फिजा गर्म हो गई है. दोनों ही तरफ जोरदार खेमेबंदी शुरु हो गई है. अपने-अपने गठजोड़ को बचाने में सभी दल जुट गए हैं.
दरअसल, NDA में पिछले कुछ दिनों में जिस तरह की बयानबाजी हुई है, उसके बाद विपक्ष का उत्साहित होना स्वाभाविक है. हालांकि NDA अपना खेमा पूरी तरह मजबूत होने के दावे कर रहा है. NDA का कहना है कि गठबंधन में किसी भी तरह की परेशानी नहीं है. सभी दल एकजुट हैं और सरकार पूरे 5 साल तक चलेगी. मुकेश सहनी (Mukesh Sahni) और जीतनराम मांझी (Jitan Ram Manjhi) भी NDA का महत्वपूर्ण हिस्सा हैं'. NDA ये दावा जरूर कर रहा है कि सरकार पूरी तरह सुरक्षित है, लेकिन हालात कुछ और इशारा कर रहे हैं. आपसी सिर-फुटौव्वल और बेतुकी बयानबाजी ने गठबंधन में दरार पैदा कर दी है.
'तख्तापलट' करने को विपक्ष है तैयार!, मुकेश या मांझी, कौन होगा 'खेवनहार'?
विपक्ष ने 15 अगस्त तक सरकार गिराने का दावा कर बिहार में सियासी खलबली मचा दी है. NDA के घटक दलों में मची तनातनी के बीच विपक्ष को उम्मीद की किरण नजर आने लगी है. BJP, JDU, HAM और VIP में कोई तालमेल नजर नहीं आ रहा है. सभी एक-दूसरे के खिलाफ जहर उगल रहे हैं. ऐसे में विपक्ष के लिए सरकार गिराना अपने आप ही आसान होता नजर आ रहा है. विपक्ष ने जीतनराम मांझी की पार्टी HAM और मुकेश सहनी की पार्टी VIP पर नजरें जमा रखी है. इसके लिए मांझी और सहनी को बार-बार महागठबंधन में आने का न्योता दिया जा रहा है.
कोरोना टीकाकरण सर्टिफिकेट पर पीएम की फोटो से जब जीतनराम मांझी ने ऐतराज जताया, तब विपक्ष ने भी इसे खूब तूल दिया था. जब मुकेश सहनी के अभियान को उत्तर प्रदेश में रोका गया, तब विपक्ष ने इसे लेकर BJP को खूब खरी-खोटी सुनाई. विपक्ष ने इसे मुकेश सहनी के अपमान से जोड़ा. वहीं, मांझी की अनदेखी का आरोप भी NDA पर लगाया.
अब विपक्ष मांझी और सहनी के भरोसे अपनी सरकार की उम्मीद पाल रहा है. विपक्ष को ये अच्छे से पता है कि इस बार NDA पहले की तरह सहज स्थिति में नहीं है. इस बार मांझी और सहनी की मदद से ही सरकार बनी है. ऐसे में विपक्ष इन दोनों नेताओं को अपने पाले में लाने की कवायद में जुटा है.
विधायकों ने दिखाया सहनी को 'ठेंगा', विरोधियों पर भारी NDA का 'हथियार'?
एक तरफ विपक्ष अब प्रदेश में अपनी सरकार की उम्मीद लगा रहा है. वहीं, NDA भी सरकार के 5 साल चलने का दावा कर रहा है. इस बीच NDA के लिए राहत भरी बात भी दिख रही है. जो मुकेश सहनी लगातार गठबंधन के खिलाफ बोल रहे हैं, मीटिंग का बहिष्कार रहे हैं, उनके विधायकों के सुर बिलकुल अलग हैं. मुकेश सहनी की विकासशील इंसान पार्टी के विधायकों ने अपने नेता के खिलाफ आवाज़ उठाई है. विधायकों ने साफ कर दिया है कि वो NDA के साथ ही रहेंगे. विधायकों ने तो इशारों में मुकेश सहनी पर निशाना भी साध दिया. उन्होंने कहा कि मंत्री के नाते उन्हें कुछ परेशानी हो रही होगी, लेकिन हम NDA के साथ खुश हैं. ये एक पॉलिटिकल पार्टी है, कोई प्राइवेट लिमिटेड कंपनी नहीं है. यहां कोई हमारा डायरेक्टर नहीं है कि जो कहेगा वही होगा. सभी विधायकों की राय लेकर ही फैसला होना चाहिए. हम NDA के साथ ही रहेंगे. ये सब कहना मुकेश सहनी बंद करें कि NDA में सुनी नहीं जाती. यहां सबकी सुनी जाती है'.
VIP के विधायकों के इस स्टैंड ने जहां मुकेश सहनी को झटका दे दिया है, जबकि NDA के लिए ताकत बढ़ाने वाला है. जीतनराम मांझी के लिए भी पाला बदलना इतना आसान नज़र नहीं आता. दोनों ही पार्टियों के पास 4-4 विधायक हैं. जबकि दोनों ही पार्टी से किसी भी विधायक को मंत्री नहीं बनाया गया है. मुकेश सहनी खुद चुनाव हारने के बाद भी मंत्री बने हैं और बाद में BJP ने उन्हें एमएलसी बनाया. जीतनराम मांझी के एमएलसी बेटे संतोष मांझी भी बिहार सरकार में मंत्री बने. ऐसे में दोनों ही पार्टी के जीतकर आए विधायक खाली हाथ रह गए हैं. उन विधायकों को अगर NDA की तरफ से कुछ बड़ा ऑफर मिला, तो वो पाला बदलने को राज़ी होंगे, इसमें संशय है. इसलिए NDA फिलहाल किसी भी तरह की समस्या से इंकार कर रहा है.
'तालमेल के अभाव में बिगड़ सकता है गठबंधन का आकार'
सत्तापक्ष और विपक्ष में कुर्सी जाने और बचाने के दावे का दौर चल रहा है. लेकिन एक्सपर्ट्स की राय सत्तापक्ष को लेकर विशेष है. एक्सपर्ट्स के मुताबिक 'सत्तापक्ष में जो खींचतान चल रही है, उसे नजरअंदाज करना ठीक नहीं होगा. वर्तमान सरकार किसी प्रचंड बहुमत के साथ नहीं बनी है, बल्कि बमुश्किल बहुमत का आंकड़ा पार करने में NDA को चुनाव में कामयाबी मिली थी. अगर ऐसे में चंद विधायकों की नाराजगी भी सरकार पर भारी पड़ सकती है. NDA में संवादहीनता की कमी नजर आने लगी है, जो किसी भी रिश्ते में सबसे खतरनाक बात होती है. इसलिए तत्काल सारी समस्याओं और शिकायतों का निराकरण करना चाहिए'.
'