पटना: बिहार में सत्ता से बाहर होने के बाद भाजपा संगठन को धारदार और मजबूत बनाने तथा गांव गांव तक उतरकर संघर्ष का रास्ता अपनाने की रणनीति पर काम कर रही है. सत्ता से बेदखल होने के बाद भाजपा अब अगले लोकसभा चुनाव में बिहार में 40 में से 35 सीटें जीतने का लक्ष्य तय किया है. 


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भाजपा की हाल के दिनों हुई तमाम बैठकों में अकेले चुनाव मैदान में उतरने को लेकर तैयारी में जुटने की बात कही गई है. भाजपा सूत्रों का कहना है कि योजनाओं को सरजमी पर उतारने के लिए पार्टी नेताओं को जिले आवंटित कर दिए गए हैं.


भाजपा के एक नेता ने बताया कि प्रदेश में भाजपा के 45 संगठनात्मक जिले हैं, जिसकी जिम्मेदारी तीन केंद्रीय मंत्रियों के अलावा प्रदेश इकाई के 13 दिग्गजों को जीत के उद्देश्य से इन जिलों में जमीनी स्तर पर सक्रियता बढ़ानी है.


24 अगस्त के बाद ये नेता आवंटित जिलों में दो दिन का दौरा करेंगे. इन्हें अनिवार्य रूप से एक रात संबंधित जिले में गुजारनी है. इनमें से प्रत्येक को प्रतिदिन छह बैठक करनी है. इस दौरान संगठन पर फोकस रखते हुए मंडल स्तर के पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं से संवाद स्थापित करना अनिवार्य किया गया है.


नीतीश के पाला बदलने से बीजेपी खुश
सूत्रों का कहना है कि भाजपा नेतृत्व को इसका भान है कि नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली एनडीए की सरकार में कार्यकर्ता खुद को उपेक्षित महसूस कर रहे थे, यही कारण है कि भाजपा के कट्टर समर्थक नीतीश के पाला बदलने से खुश भी हैं.


सूत्र बताते हैं कि भाजपा के नेता जिलों में बैठक करेंगे, जिसमे मुख्य रूप से जिला के कार्यसमिति सदस्य, पार्टी पदाधिकारी, विधानसभा क्षेत्र के सभी मंडलों के मोर्चा पदाधिकारी सम्मिलित होंगे. केंद्र प्रायोजित योजनाओं के लाभार्थियों, पंचायत और नगर निकायों के जन-प्रतिनिधियों के साथ भी क्षेत्र भ्रमण करने वाले नेता को बैठक करनी है.


संघ ने दिया ये निर्देश
बैठक में पूर्व जिलाध्यक्ष के अलावा सभी वरिष्ठ नेताओं को बुलाने का सख्त निर्देश दिया गया है. पूर्व विधायक, पूर्व विधान पार्षद, पूर्व प्रत्याशी, संघ परिवार से जुड़े लोगों से भी संपर्क कर उनसे बातचीत करने के निर्देश दिए गए हैं.


(आईएएनएस)