चिराग के साथ RJD की नजदीक बढ़ा सकती है CM नीतीश की मुश्किलें, 2024 में लोकसभा चुनाव हो सकता है नुकसान
आरजेडी के सूत्रों के अनुसार चिराग की यात्रा को नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव का समर्थन प्राप्त है. ये भी कयास लगाया जा रहा है कि महागठबंधन में आने से पहले चिराग अपने को जमीनी स्तर पर मजबूत करना चाहते हैं.
Patna: बिहार में नए राजनीतिक समीकरण का खेल शुरु हो चुका है और इसकी एक छोटी सी झलक 9 जुलाई को देखने को मिली. इस दौरान अपने अस्तित्व को बचाने में लगे चिराग पासवान (Chirag Paswan) अपनी आशीर्वाद यात्रा के दौरान खगड़िया के शहरबन्नी में अपनी बड़ी मां का आशीर्वाद लेने के साथ RJD के कद्दावर विधायक रामवृक्ष सदा (MLA Ramvriksha) से मिले. जिसके बाद दोनों के बीच लंबी बातचीत का दौर चला. जिससे प्रदेश की राजनीतिक तपिश फिर से बढ़ गई है.
सूत्रों के अनुसार RJD विधायक रामवृक्ष सदा ने चिराग और तेजस्वी की बंद कमरे करीब आंधे घंटे तक फोन पर बात करवाई. जब भी बंद कमरे बिहार के नेताओं की बातचीत हुई है,तब-तब प्रदेश की राजनीति में भूचाल आया है. ऐसे में एक बार फिर बंद कमरे में बिहार के दो दिग्गज युवा के नेताओं की बातचीत से फिर सूबे में राजनीतिक नए समीकरण देखने को मिल सकते हैं.
वहीं, आरजेडी के सूत्रों के अनुसार चिराग की यात्रा को नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव का समर्थन प्राप्त है. ये भी कयास लगाया जा रहा है कि महागठबंधन में आने से पहले चिराग अपने को जमीनी स्तर पर मजबूत करना चाहते हैं.
इधर, हताश चिराग एक बार फिर से शुरुआत करने के लिए तैयार हैं. वहीँ, राजनीतिक विशेषज्ञ भी यह मानकर चलते हैं कि बहुत जल्द तेजस्वी और चिराग एक साथ मंच दिख सकते हैं. इसका ताजा उदाहरण तेजप्रताप ने भी दिया है. जब पत्रकारों से उन्होंने इशारों-इशारों में चिराग को पार्टी में आने का न्योता दे दिया.
वहीं, पशुपति पारस भले ही खुद को पासवान हितैषी बता रहे हैं लेकिन हकीकत ये है कि विधानसभा चुनाव में चिराग के दम पर ही पार्टी ने करीब 26 लाख वोट हासिल किया थी. इसके अलावा पार्टी एक सीट जीतने में सफल रही थी. वहीं, करीब 9 सीटों पर पार्टी दूसरी नंबर पर आई थी. जबकि JDU को भी LJP ने काफी ज्यादा नुकसान पहुंचाया.
हालांकि, RJD हमेशा से ही जातिगत समीकरण बैठाने में माहिर रही हैं. ऐसे में अगर चिराग RJD में अगर चिराग महागठबंधन का हिस्सा बन जाते हैं, तो RJD को इसका फायदा होगा. साथ ही, 2024 के लोकसभा चुनाव के दौरान महागठबंधन अपनी धमक बिहार में दिखा सकता हैं. इस दौरान उनके पास 39 फीसदी वोट होगा. वैसे जेडीयू और माले भी अपने आप को दलितों का हितैषी बताने से नहीं थकते हैं. वहीं, दलितों को अपना बताने से बीजेपी भी पीछे नहीं रही है. सीएम नीतीश कुमार चुनावी रैली में पहले ही घोषणा कर चुके हैं कि ये उनता आखिरी कार्यकाल है. ऐसे में दोनों युवा नेता चाहेंगे कि ज्यादा से ज्यादा युवाओं को तरजीह दे.
वहीं, जिस तरह से LJP में टूट हुई है, इसका सारा श्रेय जेडीयू को दिया जा रहा है. कहा जा रहा है कि विधानसभा चुनाव में अपने उम्मीदवार को हराने के लिए सीएम नीतीश के इशारे पर ही एलजेपी में कोहराम मचा है. पार्टी को तोड़ने में जेडीयू का साथ देने बीजेपी ने भी अहम भूमिका निभाई इस तरह की बाते की चर्चा राजनीतिक गलियारों में हुई है. पार्टी में कलह होने के बाद बीजेपी पर चिराग ने निशाना साधा था. उन्होंने यहां तक कहा था कि मुझे मेरे राम ने (पीएम मोदी) अधर में छोड़ दिया. ऐसे में अब जैसे बिहार में हो रहे हैं, उससे साफ है कि राज्य में आने वाले समय में कई बड़े बदलाव देखने को मिल सकते हैं.
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