पटना: अभी वर्तमान में देश की तीसरा सबसे बड़ी आबादी वाला और 12वां सबसे बड़े क्षेत्रफल वाले बिहार राज्य में मुख्य रूप से हिंदी, भोजपुरी, मैथिली, उर्दू, मगही, अंगिका जैसी भाषा बोली जाती है. इसे क्षेत्रवार समझना जरूरी है. अंग प्रदेश के क्षेत्र में अंगिका, मगध और उसके आसपास के क्षेत्र में मगही, भोजपुर और उसके आसपास के इलाके में भोजपुरी, मिथिलांचल के हिस्से में मैथिली बोली जाती है. अब आप इसकी भौगोलिक समृद्धि का अनुमान खुद लगा सकते हैं. एक ऐसा राज्य जो प्राकृतिक तरीके से तीन भागों में बांटा गया. पर्वतीय एवं तराई भाग, विशाल मैदान वाला भाग तथा पहाड़ी के किनारे बसा भाग. 


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

इसके बारे में जरा गौर से सोचिए की जिस राज्य को बीच से चीरकर पापहरणी गंगा निकलती है. जिसकी सीमा के भीतर 21 नदियां बहती हों. वह राज्य कैसा होगा. यहां यूं तो अभी वर्तमान में 38 जिले हैं लेकिन इनके 14 प्रमुख शहर हैं जो पूरी दुनिया में अपनी खास पहचान रखते हैं. गया का तिलकुट हो या भागलपुर का सिल्क, मिथिलांचल का मखाना हो या मिथिला पेंटिंग्स आखिर क्या नहीं है बिहार के पास. धान, गेहूं, मक्का और दालों का प्रदेश बिहार आज भी उन्नत कृषि के लिए जाना जाता है. यहां के श्रमिक सबसे ज्यादा मेहनती माने जाते हैं. हालांकि इस राज्य को कोसी जैसी नदी से शोक भी मिलता है लेकिन फिर भी इसकी समृद्धि को कम कर पाना मुश्किल है.  


बिहार जहां एक तरफ वनों से आच्छादित प्रदेश है तो वहीं उन्नत खेती के लायक यहां की मिट्टी भी है. यहां की पहाड़ें जहां एक तरफ समृद्धि का सूचक बनी हुई हैं तो वहीं पर्यटन के लिहाज से भी यह प्रदेश ना जाने अपने साथ कितना कुछ सहेजे बैठी है. मंदिरों की लंबी चौड़ी फेहरिस्त तो वहीं आस्था के सैलाब में गोते लगाती नदियों का एक पूरा बड़ा समूह. भाषाओं की लंबी सूची तो वहीं शिक्षा के प्रमुख केंद्रों का आकर्षण आखिर क्या नहीं है बिहार के पास.


हालांकि झारखंड से अलग होने के बाद खनिज संपदा से भरे इसके अंग कट गए लेकिन फिर भी बिहार की समृद्धि में कोई कमी नहीं आई.  यहां की बड़ी आबादी कृषि पर निर्भर करती है. यहां जनसंख्या सघन है इसलिए कृषि योग्य भूमि पर इसका दबाव बड़ा है. यहां की कुल जनसंख्या की 70 फीसद से ज्यादा आबादी कृषि पर निर्भर करती है लेकिन इस मिट्टी में एक अजीब किस्म की ताकत है जो एक से एक योग्य और बेहतरीन लोगों को पैदा करती रही है. यहां भदई, अगहनी, रबी और गरमा चार किस्म की फसलें साल भर में उपजाई जाती हैं. यही प्रदेश है जहां आम, लीची और केले को खेती के रूप में अपनाया गया और इसका स्वाद पूरी दुनिया चख रही है. मीठास यहां इतनी की शहद के उत्पादन में यह देश में अव्वल है. यहां के पान की खुशबू पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान तक को सुगंधित करती है.