Patna: भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) ने हाल में ही  बिहार में इंजीनियरिंग और पॉलिटेक्निक संस्थानों के कामकाज पर एक रिपोर्ट दी है. जिस पर अब बिहार सरकार और बीजेपी के बीच  वाकयुद्ध शुरू हो गया है. बीजेपी इसको लेकर राज्य सरकार पर हमलावर है. 


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

बिहार विधानसभा में पेश हुई कैग की रिपोर्ट


कैग की रिपोर्ट बताया है, "विज्ञान और प्रौद्योगिकी (एसएंडटी) विभाग और भवन निर्माण विभाग (बीसीडी) ने 2026:22 की अवधि के दौरान कुल बजट प्रावधान का क्रमश: 46 और 22 प्रतिशत वापस कर दिया है. बिहार सरकार ने फरवरी 2026 में 'अवसर बढ़े आगे पढ़ें' (एबीएपी) योजना के तहत 46 इंजीनियरिंग कॉलेजों/पॉलिटेक्निक संस्थानों के लिए  3,857 करोड़ रुपये की मंजूरी दी थी. इस योजना के अनुसार 2022 तक इन इमरतों का निर्माण होना था लेकिन अभी तक 28 भवनों का निर्माण अभी तक नहीं हुआ है. 


कैग की रिपोर्ट में ये भी बताया है कि इस योजना उद्देश्य छात्रों को गुणवत्तापूर्ण तकनीकी और कौशल आधारित शिक्षा देना लेकिन अभी टिक इसे हासिल नहीं किया जा सका है. 


बीजेपी ने किया पलटवार 


इस रिपोर्ट को लेकर बीजेपी ने नीतीश सरकार पर हमला बोला है. बिहार भाजपा के प्रवक्ता निखिल आनंद ने कहा है कि राज्य में शिक्षा की बदहाली के लिए CM नीतीश कुमार ही जिम्मेदार है. 2005 से ही शिक्षा विभाग JDU के पास है. अब ये विभाग RJD के पास है. इसके अलावा उन्होंने कहा कि उच्च शिक्षा की बात करें तो नए संस्थान तो खुल गए हैं लेकिन पुराने प्रतिष्ठित संस्थानों के हालात काफी ज्यादा ख़राब हो गई है. 


मंत्री सुमित कुमार सिंह ने किया पलटवार 


इंजीनियरिंग और पॉलिटेक्निक संस्थानों के कामकाज पर कैग की रिपोर्ट को लेकर बिहार के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री सुमित कुमार सिंह ने कहा कि बीजेपी क्या कह रही है, मुझे इस बारें में कोई भी चिंता नहीं है. इस साल मार्च के बाद से ही बक्सर जिले को छोड़कर प्रदेश के सभी जिलों में इंजीनियरिंग कॉलेज शुरू हो जाएँगे. इसके अलावा शिक्षण कर्मचारियों की भर्ती भी शुरू हो गई है.