Bihar Land Survey: बिहार में करीब 45 हजार गांवों में जमीन सर्वे का काम जारी है. सरकार की ओर से इस काम को पूरा करने के लिए एक साल की समयसीमा निर्धारित की गई, लेकिन इससे ज्यादा वक्त लग सकता है. इसकी सबसे बड़ी वजह है इस काम में आने वाली दिक्कतें. सरकार की ओर से सर्वे से संबंधित जानकारी देने के लिए कैंप लगाने के बावजूद लोगों में भ्रम की स्थिति बनी हुई है. इस वजह से कई जगहों पर ग्रामीणों द्वारा सर्वे का विरोध होने की खबरें भी सामने आती रहती हैं. सर्वे में लगे अधिकारियों के सामने इसके अलावा भी कई अन्य दिक्कतें सामने आ रही है. जानकारी के मुताबिक, अब जमीन सर्वे में 'कैथी लिपि' रोड़े अटकाने का काम कर रही है. दरअसल, कुछ इलाको में 'कैथी लिपि' में जमीन के कागजात मिल रहे हैं. जबकि, सर्वे में लगे अधिकतर कर्मचारियों को कैथी लिपि का ज्ञान नहीं है. इतना ही नहीं अब पूरे प्रदेश में इस लिपि की जानकारी रखने वालों की संख्या बहुत कम रह गई है.


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दरभंगा के बिहारी गांव के रहने वाले अजय कुमार झा के पास अपनी जमीन के कागजात कैथी लिपि में हैं. सर्वे करने आए अधिकारियों को यह भाषा समझ नहीं आई तो उन्होंने ट्रांसलेटर को बुलाना चाहा, लेकिन अधिकारियों को इलाके में ऐसा कोई शख्स नहीं मिला जो कैथी लिपि को पढ़ना-लिखना जानता हो. अजय कुमार झा के पास 15 बीघा जमीन है. उनके पास कागजात भी हैं, लेकिन उन कागजों पर लिखी लिखावट को समझने वाला कोई नहीं मिल रहा है. इस कारण से उनकी जमीन का सर्वे फिलहाल रुका हुआ है. अजय कुमार अकेले ऐसे शख्स नहीं हैं, जिनके जमीन के कागजात कैथी लिपि में हों. बिहार में ऐसे बहुत से लोग हैं.


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बता दें कि आजादी से पहले 1910 में अंग्रेजों के शासनकाल में जमीन का सर्वेक्षण हुआ था. उस समय जो खतियान या दस्तावेज बनाए गए थे, वह कैथी लिपि में हैं. खास बात तो यह है कि ज्यादातर जमीन के मालिक खुद भी इस लिपि को पढ़ना नहीं जानते. वहीं नवनियुक्त अमीन और कानूनगो को इन दस्तावेजों को पढ़ने में समस्या आ रही हैं. उन्हें इस लिपि की बिलकुल जानकारी नहीं है. इससे रैयतों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा हैं. वहीं सरकार को पहले से अंदेशा था कि कैथी लिपि को समझने में परेशानी आएगी, इसके लिए रेवेन्यू डिपार्टमेंट ने बिहार के सभी प्रमंडल में कैथी लिपि की ट्रेनिंग की व्यवस्था की है. 


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वहीं रैयत कैथी लिपि को ट्रांसलेट के लिए जगह-जगह भटक रहे हैं. इसके लिए ट्रांसलेटर हजारों रुपए की डिमांड कर रहे हैं. जानकारी के मुताबिक, पटना में 5 हजार रुपए से अधिक राशि लेकर ट्रांसलेटर कैथी लिपि वाले दस्तावेजों का ट्रांसलेट कर रहे हैं. उसके बाद ट्रांसलेट वाला दस्तावेज लोग अमीन के पास जमा कर रहे हैं. यह अनुवाद कितना सही किया गया है. इसकी जानकारी न अमीनों को है ना हीं रैयतों को. वहीं सरकार की ओर से 17 से 19 सितंबर तक बीएचयू के रिसर्च स्कॉलर प्रीतम कुमार और मोहम्मद वाकर अहमद द्वारा अमीनों और कानूनगो को कैथी लिपि का प्रशिक्षण दिलाने का बंदोबस्त किया गया है.


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