Patna: बिहार में सत्ताधारी गठबंधन की कलह लगातार तेज होती जा रही है. NDA के दलों में जिस तरह की सिर-फुटौव्वल है, वो आने वाले किसी बड़े तूफान का संकेत दे रही है. बिहार सरकार के दो मंत्रियों के बयानों ने पूरा सियासी माहौल गर्म कर दिया है. अगर ये कहा जाए कि इन बयानों ने चिंगारी को शोले में तब्दील कर दिया है, तो शायद गलत नहीं होगा. BJP कोटे से सरकार में मंत्री सम्राट चौधरी और VIP के मुकेश सहनी ने बयान देकर गठबंधन को मुश्किल में डाल दिया है.


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NDA के घटक दलों की आपसी खींचतान से विपक्ष को हमला करने का भी पूरा मौका मिल रहा है. विपक्ष ने तो यहां तक दावा किया है कि NDA सरकार अब चंद दिनों की ही मेहमान है. विपक्ष ने NDA में मुकेश सहनी (Mukesh Sahani) और जीतनराम मांझी (Jitan Ram Manjhi) ​के अपमान का भी आरोप लगाया. VIP के अभियान को उत्तर प्रदेश में प्रशासन की तरफ से रोकने पर विपक्ष ने सवाल उठाए. विपक्ष ने इसे छोटे दलों के प्रति BJP की खराब मानसिकता करार दिया.


'मजबूरी में नीतीश को सीएम पद पर स्वीकार किया' 


बिहार NDA में सबसे बड़ी आग नीतीश कैबिनेट के मंत्री सम्राट चौधरी  (Samrat Chaudhary) ने भड़काई है. सम्राट चौधरी बिहार सरकार में BJP कोटे से मंत्री हैं. वो अक्सर अपने दबंग अंदाज वाले बयान के लिए सुर्खियों में रहते हैं. विधानसभा के पिछले बजट सत्र में उन्होंने स्पीकर विजय सिन्हा से ही बहस कर ली थी. उनके इस व्यवहार के लिए सत्तापक्ष और विपक्ष दोनों ने निंदा की थी, जिसके बाद उन्हें सदन में खड़े होकर माफी मांगनी पड़ी थी. इस बार सम्राट चौधरी ने सरकार के मुखिया नीतीश कुमार को लेकर टिप्पणी कर दी. सम्राट चौधरी ने मंच पर जनता को संबोधित करते हुए विवादित बयान दिया. उन्होंने कहा, 'साल 2015 में JDU से अलग BJP ने चुनाव लड़ा था. अगर उस चुनाव में पार्टी की हार नहीं होती, तो आज सरकार का नेतृत्व BJP के हाथों में होता. उस चुनाव में मिली हार के कारण हमें इस बार गठबंधन करना पड़ा और दूसरे का नेतृत्व मजबूरी में स्वीकार करना पड़ा. इसलिए हमें पार्टी को जमीन पर और मजबूत करने की जरूरत है'. सम्राट चौधरी के इस बयान का BJP के दूसरे नेताओं ने भी समर्थन किया.


सम्राट चौधरी के इस बयान पर बिहार में सियासी बवाल मच गया. JDU ने इस पर कड़ा पलटवार किया. JDU ने कहा कि BJP को साल 2015 का परिणाम अच्छे से याद कर लेना चाहिए. बिहार में ये जांची-परखी बात है कि नीतीश कुमार जिस गठबंधन का नेतृत्व करते हैं, जीत उसी गठबंधन को मिलती है. इसलिए नेतृत्व पर टिप्पणी सही नहीं है. एक तो सम्राट चौधरी हमारे सहयोगी दल के नेता हैं और दूसरा ये कि बिहार सरकार के मंत्री हैं, उन्हें इस तरह का बयान नहीं देना चाहिए'.


NDA की मीटिंग का मुकेश सहनी ने किया 'बॉयकॉट'


सम्राट चौधरी के बयान से NDA का घमासान अभी थमा भी नहीं था कि VIP प्रमुख और प्रदेश सरकार के मत्स्य एवं पशुपालन विभाग के मंत्री मुकेश सहनी के बयान ने कोहराम मचा दिया. सहनी ने पहले तो NDA की मीटिंग का बहिष्कार कर हंगामा मचा दिया. उसके बाद सहनी ने मीडिया के सामने गठबंधन में पनप रही कड़वाहट का कच्चा चिट्ठा खोलकर रख दिया. मुकेश सहनी ने NDA की मीटिंग में न जाने का कारण खुलकर बताया. उन्होंने कहा,'हम नीतीश कुमार के साथ हैं और सरकार को पूरा सहयोग है. लेकिन बैठक में जाने का क्या फायदा, जब हमारी सुनी ही नहीं जाती. NDA में सिर्फ BJP और JDU की ही चलती है. छोटे दलों की जब बात मानी ही नहीं जाती, तो मीटिंग में क्यों जाना?'. मुकेश सहनी यहीं नहीं रुके. उन्होंने ये तक कह दिया, 'प्रदेश में अधिकारियों का राज चलता है, जिससे व्यवस्था खराब हो रही है. इसके लिए मुख्यमंत्री से बात करूंगा'.


मुकेश सहनी के बैठक में नहीं आने से NDA की फजीहत होने लगी. आनन-फानन में डैमेज कंट्रोल की कोशिशें तेज़ हो गईं. BJP और JDU ने इसे घर का मामला बताया और जल्द ही बातचीत कर शिकायत दूर करने का भरोसा दिलाया.


विपक्ष के लिए 'आया सावन झूम के'


सावन महीने के शुरु होते ही NDA के घमासान ने विपक्ष को खुश कर दिया. पूरा विपक्ष खुशी से झूम रहा है और दावा कर रहा है कि ये सरकार कुछ दिनों की मेहमान है. विपक्ष का कहना है, 'NDA में मारकाट मची हुई है. एक-दूसरे को नीचा दिखाने की होड़ है. जीतनराम मांझी और मुकेश सहनी को BJP से दिक्कत है. उनको अपमानित किया जा रहा है. उत्तर प्रदेश में मुकेश सहनी को ज़लील करने की कोशिश हुई. जबकि वो बिहार सरकार में मंत्री हैं और BJP के सहयोगी दल के प्रमुख हैं. अब ये सरकार ज्यादा दिनों तक नहीं चलेगी'.


विपक्ष ने BJP नेता और मंत्री सम्राट चौधरी के बयान को भी मुद्दा बनाया. विपक्ष ने कहा, 'नीतीश कुमार इतने मजबूर हो गए हैं कि बेइज्जती का बदला भी नहीं ले सकते. वो कुछ विरोध जताने की भी स्थिति में नहीं हैं. BJP के नेता एक के बाद एक बयान देकर उन्हें नीचा दिखा रहे हैं. उन्हें एहसास दिलाया जा रहा है कि उन्हें मुख्यमंत्री बनाकर एहसान किया गया है. उन्हें मजबूरी का सीएम बताया जा रहा है. लेकिन नीतीश कुमार गठबंधन से बाहर नहीं आ रहे, क्योंकि उन्हें कुर्सी का मोह है'.


NDA नेताओं के बयान ने बैठे-बिठाए विपक्ष को मौका दे दिया है. सत्तापक्ष और विपक्ष एक-दूसरे पर हमलावर है. वहीं, एक्सपर्ट्स भी मानते हैं कि NDA में जो कुछ भी चल रहा है, वो भविष्य में बड़े सियासी उथलपुथल के संकेत दे रहा है. सरकार के 5 साल तक चलने को लेकर आशंकाएं लगातार बढ़ती जा रही हैं. ऐसा लगने लगा है कि NDA की आपसी कलह की वजह से प्रदेश में मध्यावधि चुनाव हो सकते हैं.


 



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