Patna: बिहार में बाढ़ से तबाही की तस्वीरों ने लोगों की आखों में लाचारी के आंसू दिए हैं. लोग चाहकर भी कुछ नहीं कर पा रहे हैं. ट्रेन की पटरियों से लेकर सड़कों के कोने में लोग जिंदगी गुजार रहे हैं. खाने को खाना नहीं, रहने को छत नहीं. यह हालात न सिर्फ इंसानों के हैं, बल्कि इंसान के साथ पशुओं पर भी कुदरत की मार पड़ रही है. बाढ़ (Bihad Flood) से सिर्फ इंसान ही नहीं पशुओं के लिए भी मुसीबत खड़ी हो गई है.


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बाढ़ से जिदंगी बदतर
दरअसल, मधुबनी में भी यही हालात देखने को मिल रहे हैं. मधुबनी में बाढ़ से हालात बद से बदतर है. लोगों का आशियाना डूब चुका है. नदियों का जलस्तर खतरे के निशान से उपर है. लोग पलायन करने को मजबूर हैं. बाढ़ से लाखों की आबादी प्रभावित हुई है. इससे मनुष्य के साथ-साथ पशुओं को भी काफी संकट है.


बाढ़ ने बढ़ाई पशुओं की मुश्किलें
वहीं, बिस्फी प्रखंड के दर्जनों गांव बाढ़ से प्रभावित हैं. पशुपालक पशु को गांव से निकालकर ऊंचे स्थानों पर रखे हुए हैं ताकि वो अपनी और पशुओं की जान बचा सके, लेकिन वहां भी खाने से लेकर जिंदगी का पल-पल काटना मुश्किल हो रहा है. पशुपालकों का कहना है कि 'बाढ़ में चारे की खासी परेशानी हो रही है. पशुओं को कहां से क्या खिलाएं समझ नहीं आ रहा है. प्रशासन भी किसी तरह की कोई मदद नहीं कर रही है. कोई स्थिति का जायजा तक लेने नहीं पंहुचा.'


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मंत्री ने दिए राहत कार्य चलाने के निर्देश
बाढ़ पीड़ितों की मानें तो प्रशासन के द्वारा कुछ भी सहायता नहीं मिली है, लोग दाने-दाने के लिए मोहताज हैं. वहीं, खेत में कई दिनों से जलजमाव से पशु चारे का अभाव हो गया है. इस पूरे मामले पर बिस्फी विधायक ने कहा कि सरकारी खजाने पर पहला हक बाढ़ पीड़ितों का है. लेकिन अभी तक बाढ़ पीड़ितों को कुछ भी मुआवजा नहीं दिया गया है. पशु चारा को लेकर पशु पालक संकट में हैं. बाढ़ को लेकर जिला प्रभारी मंत्री लेसी सिंह ने अधिकारीयों और जनप्रतिनिधियों के साथ बैठक कर बाढ़ पीड़ितों के लिए राहत बचाव कार्य शीघ्र चलने का निर्देश दिया.


मंत्री ने कहा कि बाढ़ से बचाव को लेकर मुख्यमंत्री लगातार अधिकारियों को निर्देश दे रहे हैं. अब देखने वाली बात यह है कि आखिर कब बाढ़  (Bihar Flood) पीड़ितों तक राहत सामग्री पंहुचती है. सिर्फ इंसान ही नहीं, पशुओं को भी अब राहत सामग्री का इंतजार है. यह अलग बात है कि वो बेजुबान अपनी पीड़ा बता भी नहीं सकते. लेकिन ये हाल सिर्फ मधुबनी का नहीं बल्कि बिहार के तमाम जिलों का है. जहां लोगों के साथ पशुओं के पास भी खाने का संकट मंडरा रहा है. पशुपालक अपने साथ पशुओं को भी ऊंचे स्थान पर लेकर जा रहे हैं लेकिन खाने के लिए न खुद के पास खाना है न पशुओं को खिलाने का चारा.


हाल बेहाल हैं, जिंदगी दर-दर की ठोकरे खा रही है. ऐसे में सभी को इंतजार है कि आखिर जिंदगी पटरी पर कब आएगी. हालांकि, ऐसा पहली बार नहीं है, बिहार में बाढ़ से बर्बादी की तस्वीरें हर साल लोगों को लाचार और विवश करती हैं लेकिन ऐसे में सवाल बरकरार है कि आखिर कब जिंदगी सुकून की सासं लेगी? कब बेजुबानों को खाना मिलेगा? कब बिहार बाढ़ की चपेट से मुक्त होगा?


(इनपुट- प्रीति सिंह)