किशनगंज: किशनगंज का ऐतिहासिक खगड़ा मेला का शुभ उद्घाटन जिला पदाधिकारी तुषार सिंगला व आरक्षी अधीक्षक डॉ. इमानुल हक मेगनु के द्वारा संयुक्त रूप से दीप प्रज्वलित कर किया गया. इस अवसर पर शहर के गणमान्य लोग उपस्थित थे. एक महीने तक चलने वाली इस मेले में लोगों के मनोरंजन के लिए झूला,सर्कस,थियेटर और आकर्षक दुकान लगाया गया है.


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गौतरलब हो कि किशनगंज शहर के खगड़ा में लगने वाला ऐतिहासिक खगड़ा मेला ब्रिटिश काल से ही लगता आ रहा है. मेला का इतिहास काफी पुराना है. खगड़ा मेला की शुरुआत सन 1883 में की गई थी. उस समय के खगड़ा स्टेट के नवाब सैय्यद अता हुसैन खान ने इस मेला की बुनियादी नींव रखी थी. सन 1911 में प्रकाशित हुए पूर्णिया के ओल्ड गजेटियर में खगड़ा मेले का ज़िक्र मिलता है. गजेटियर में लिखा गया है कि एक सूफी फकीर बाबा कमली शाह ने खगड़ा स्टेट के नवाब सैय्यद अता हुसैन खान को एक मेला की शुरुआत करने की सलाह दी थी. जिससे किशनगंज और आस पास के लोगों को रोजगार मिल सके. एशिया में सोनपुर के बाद किशनगंज का खगड़ा मेला दूसरा सबसे बड़ा मेला के रूप में जाना जाता है.


एक समय इस मेलें मे भारत ही नहीं बांग्लादेश, पाकिस्तान, म्यांमार, श्रीलंका, मलेशिया, अफगानिस्तान ओर कोई मुल्कों के व्यापारी यहां व्यापार करने आया करते थे. 1950 में इस मेले में पशुओं की बिक्री से 80 लाख रुपये का राजस्व प्राप्त हुआ था. आरक्षी अधीक्षक ने अपने संबोधन में कहा कि किशनगंज का खगड़ा मेला उस वक्त भी सोनपुर के टक्कर का बड़ा मेला था. लेकिन समय के बदलाव के साथ साथ सोनपुर मेला की पहचान बढ़ती चली गयी और खगड़ा मेला अपनी पहचना खोता चला गया. उन्होंने मेले की अस्तित्व को बचाने के लिए जिला पदाधिकारी के समक्ष प्रस्ताव रखा कि इस मेले का आयोजन साल में दो बार किया जाय ताकि इस मेले की पहचान वापस मिल सकें और लोगों को मनोरंजन के साथ साथ सरकार को भी राजस्व की प्राप्ति हो.


जिला पदाधिकारी ने कहा कि जिले की आर्थिक व्यवस्था और लोगो की रोजगार को बढ़ाने में खगड़ा मेला का महत्वपूर्ण स्थान हैं. उन्होंने पुलिस कप्तान का प्रस्ताव पर मुहर लगाते हुए कहा कि साल में दो से तीन बार इस मेले का आयोजन करने के लिए जिला प्रशासन विचार विमर्श किया जायेगा.