Patna: बिहार में आपदा प्रबंधन समूह ने कुछ बंदिशों के साथ प्रारंभिक स्कूलों को भी खोलने की अनुमति दी है. फैसले के तहत प्रारंभिक स्कूलों के छात्र 16 अगस्त यानी सोमवार से स्कूलों में पढ़ाई शुरू करेंगे लेकिन पढ़ाई कैसे होगी जब बच्चों के पास किताबें ही नहीं है?


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दरअसल, बिहार में सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों को किताब खरीदने के लिए पैसे दिए जाते हैं. ये पैसे बच्चों के बैंक खाते में जाते हैं लेकिन शैक्षणिक सत्र को शुरू हुए चार महीने हो चुके हैं और किताबों के लिए बच्चों के खाते में पैसे ही नहीं हैं. ऐसे में अब सरकारी स्कूलों के बच्चे कैसे पढ़ेंगे इसका जवाब किसी के पास नहीं है. 


राजकीय कन्या मध्य विद्यालय, वाटर टावर, अदालतगंज के अध्यापक असीम मिश्रा भी मानते हैं कि पढ़ाई के लिए किताबें नहीं है लिहाजा पुरानी किताबों से ही काम चलाया जाएगा. असीम मिश्रा तो किताब के लिए दिए जाने वाले पैसों पर भी सवाल खड़े करते हैं. 


दरअसल, बिहार में पहले बच्चों को स्कूल से ही किताबें मिला करती थीं लेकिन बाद में इसके लिए पैसे दिए जाने लगे. राज्य के प्रारंभिक स्कूलों की संख्या करीब 71 हजार है और इसमें पढ़ने वाले छात्रों की संख्या 1 करोड़ 20 लाख हैं.


वहीं, शैक्षणिक सत्र शुरू हुए चार महीने हो चुके हैं लेकिन सरकार की तरफ से किताबों के लिए पैसे नहीं भेजे गए हैं. ऐसे में अब शिक्षा विभाग के मंत्री विजय चौधरी इसके लिए कोरोना को जिम्मेदार ठहराते हैं. उनके मुताबिक, कोरोना की वजह से रूटीन गड़बड़ाया है लेकिन बच्चों को किताबें मिल जाएंगी.