पूर्णिया : बिहार में जिस तरह से 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले सियासी सरगर्मी तेज हुई है उसने बता दिया है कि यहां के सियासी दल अब लोकसभा चुनाव से पहले ही अपनी कमर कस चुके हैं. बिहार में सीमांचल, मिथिलांचल, मगध, अंग और भोजपुर के इलाकों का राजनीतिक माहौल बहुत अलग होता है. इन इलाकों में पड़नेवाली लोकसभा सीटों में जातिगत समीकरण भी अलग-अलग किस्म के हैं ऐसे में इसको लेकर राजनीतिक दलों की तैयारियां भी बिल्कुल अलग किस्म की होती है. बिहार के सीमांचल में सात जिले आते हैं. जिनमें अररिया, मधेपुरा, सहरसा, सुपौल, पूर्णिया, किशनगंज और कटिहार शामिल हैं. इन सात जिलों में चार जिले ऐसे हैं जहां मुस्लिम चुनाव में निर्णायक भूमिका अदा करते हैं. 


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आपको बता दें कि सीमांचल के इन चार जिलों अररिया, किशनगंज, पूर्णिया और कटिहार की 2 लोकसभा सीटों और 24 विधानसभा सीटों पर मुस्लिम मतदाता जीत और हार का पूरा गणित बनाते हैं. ऐसे में इन चार लोकसभा सीटों और यहां की 24 विधानसभा सीटों पर भाजपा, जदयू और राजद की तरफ से पूरी जान झोंकी जाती है लेकिन 2019 के लोकसभा चुनाव और 2020 के बिहार विधानसभा चुनाव के दौरान इन यहां AIMIM की एंट्री ने पूरा गणित बदलकर रख दिया. 


एक तरफ जहां यहां राजद इस बात को लेकर आश्वस्त रहती थी कि यहां उनका M-Y समीकरण में से M फैक्टर काम करेगा तो वहीं जदयू भाजपा के साथ बिहार में सरकार चलाती भी रही और उसे मुस्लिम मतदाताओं के मुद्दे पर ठेंगा भी दिखाती रही ताकि जदयू के हिस्से में भी मुस्लिम वोटबैंक जुड़ा रहे लेकिन  AIMIM की एंट्री ने पूरी तरह से यहां का राजनीतिक भूगोल ही बदल दिया है. यहां इसी वजह से भाजपा ने गृहमंत्री अमित शाह का दौरा कराया तो वहीं जदयू और राजद की तरफ से संयुक्त रूप से महागठबंधन की भी सभाएं हुई लेकिन अब जब यहां असदुद्दीन ओवैसी ने कदम रखा है तो राजद और जदयू की चिंता बढ़ गई है. 


ओवैसी की नजर इस बार इन चार जिलों की 4 लोकसभा और 24 विधानसभा सीटों पर है. यहां 2020 के विधानसबा चुनाव में 5 सीटों पर उनकी पार्टी को मिली सफलता ने उन्हें उत्साहित कर दिया है. बता दें कि सीमांचल के इलाके में ओवैसी को 2020 के विधानसभा चुनाव में बेहतरीन सफलता मिली तो मिली लेकिन उनकी सफलता को राजद ने ग्रहण लगा दिया. बिहार के सीमांचल से जीते AIMIM के विधायकों को राजद ने अपने पाले में किया जिसका टीस ओवैसी के अंदर से खत्म नहीं हो पाई है. ऐसे में 2024 के लोकसभा चुनाव और 2025 के विधानसभा चुनाव में ओवैसी की नजर राजद को झटका देने और इन 4 जिलों की 24 विधानसभा और 4 लोकसभा सीटों खेला करने की है.  


सीमांचल इलाके में राजद के वोट बैंक मुस्लीम-यादव समीकरण में से मुस्लिम आबादी बड़ी है. ऐसे में इसे राजद का गढ़ माना जाता रहा. हालांकि AIMIM के आने के बाद राजद को इसका काफी नुकसान हुआ और तेजस्वी यादव की पार्टी ने इसका बदला AIMIM के विधायकों को राजद में शामिल कर ले लिया. अब बारी असदुद्दीन ओवैसी की है. वह इसके बाद से ही राजद के खिलाफ हो गए हैं. जानकारों की मानें तो असदुद्दीन ओवैसी का यहां सीमांचल के समर में सक्रिय होना भाजपा के लिए खुशी की खबर लेकर आया है तो वहीं राजद और जदयू के लिए यह चिंता की लकीरें खींचनेवाला है. अभी ओवैसी बिहार में सीमांचल के दौरे पर हैं जहां शनिवार और रविवार को कई सभाओं के साथ रैली भी करनेवाले हैं. ऐसे में सीमांचल में एक बार फिर से उनकी पार्टी के लोग उत्साहित नजर आ रहे हैं. 


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