Patna: JDU संसदीय बोर्ड के चेयरमैन उपेंद्र कुशवाहा (Upendra Kushwaha) बिहार यात्रा के दूसरे चरण में रोहतास पहुंचे. रोहतास में कुशवाहा के एक बयान ने सियासी तूफान खड़ा कर दिया है. दरअसल, कुशवाहा ने कहा कि विधानसभा चुनाव में उनके गठबंधन के अंदर ही साजिश रची गई. जिस वजह से JDU तीसरे नंबर की पार्टी बन गई. लिहाजा अब इन साजिशों का मुंहतोड़ जवाब देना होगा, जिसके लिए पार्टी संगठन को मजबूत करना होगा.


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कुशवाहा के इस बयान से बीजेपी (BJP) तिलमिला गई., कुशवाहा का इशारा किस ओर था, समझ में आ गया. जिसके बाद बीजेपी के प्रवक्ता प्रेम रंजन पटेल ने कहा, 'NDA के अंदर भितरघात करने वालों पर कार्रवाई होनी चाहिए ना की उन्हें सम्मान देना चाहिए.'


बीजेपी ने 'सम्मान' देने के बयान से हाल में JDU के प्रदेश उपाध्यक्ष बनाए गए मंजीत सिंह का मुद्दा उठा दिया, क्योंकि मंजीत सिंह के निर्दलीय चुनाव में उतरने से बीजेपी के मिथिलेश तिवारी चुनाव हार गए. इस बात की खुन्नस बीजेपी को भी है.


वैसे बीजेपी दलील दे रही है कि साजिशकर्ता के खिलाफ कार्रवाई हो लेकिन वो साजिश करने वाला दल कौन है इसकी पहचान कैसे होगी? अगर देखा जाए तो, गाहे बगाहे जो भी JDU का दिग्गज सामने आता है, साजिश का आरोप लगाता है लेकिन साजिश किसने रची यह कोई खुलकर नहीं बताता है. बस इशारों से निशाना साध दिया जाता है.


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JDU के इस बयान पर विपक्ष भी सीएम नीतीश (Nitish Kumar) पर निशाना साधने से चूक नहीं रहा है. RJD नेता विजय प्रकाश की मानें, तो कुर्सी के मोह में नीतीश कुमार बीजेपी से चिपके हुए हैं. वहीं, कांग्रेस (Congress) ने तो यहां तक कह दिया कि JDU के खिलाफ किसी ने साजिश नहीं रची बल्कि डंके की चोट पर JDU को हलाल कर दिया गया.


दरअसल, JDU के अंदर कसक है कि वो तीसरे नंबर की पार्टी कैसे रह गई. तीसरे नंबर की पार्टी दूसरे की मेहरबानी पर सीएम की कुर्सी पर हैं तो सवाल उठता है कि अगर घर का भेदिया साजिश रचा है तो भी साजिशवालों से संबंध कैसा? क्या कुर्सी का मोह साजिश पर भारी पड़ गया है? बयान और हालात देखकर तो यही लगता है.