Patna: केंद्र की नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) सरकार के कैबिनेट विस्तार के बाद JDU पार्टी के कई अहम पदों पर बदलाव का दौर शुरू हो गया है. नीतीश कुमार (Nitish Kumar) के करीबी संजय सिंह की मुख्य प्रवक्ता पद से छुट्टी हो गई है. वहीं, उपेंद्र कुशवाहा ( Upendra Kushwaha) से ललन सिंह के मुलाकात के बाद तरह-तरह की बातें सामने आ रही है.


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इस बीच, नरेंद्र मोदी सरकार के कैबिनेट में आरसीपी सिंह की एंट्री के बाद विपक्ष अलग ही राग अलापे हुए है. विपक्ष ने सीएम नीतीश कुमार पर आरोप लगाया हैकि वह सिर्फ एक ही जाति को आगे बढ़ाने में लगे हुए हैं. वहीं, दूसरी तरफ अचानक ललन सिंह के संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा से मिलने के बाद जब राजनीतिक सरगर्मी तेज हुई तो कुशवाहा को बयान देना पड़ा कि JDU में सबकुछ ठीक है.


हालांकि, कुशवाहा के बयान के बाद अब इस बात की चर्चा है कि पार्टी में अगर सबकुछ सही ही है तो फिर इस मुलाकात के बाद आखिर उपेंद्र कुशवाहा को सफाई क्यों देनी पड़ रही है. जानकारी के अनुसार, RCP की दिल्ली में एंट्री को लेकर पार्टी के अंदर ही सवाल उठ रहे हैं. 


आरसीपी सिंह के मंत्री बनने के बाद सवाल उठने की मुख्य वजह यह है कि सरकार के मुखिया नीतीश कुमार कुर्मी समाज से आते हैं. साथ ही CM नीतीश कुमार का गृह जिला नालंदा है. इसके अलावा, केंद्रीय मंत्री और JDU के राष्ट्रीय अध्यक्ष RCP सिंह भी कुर्मी समाज से आते हैं और इनका भी गृह जिला नालंदा ही है. वहीं, JDU संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा कोइरी समाज से आते हैं. प्रदेश अध्यक्ष उमेश कुशवाहा कोइरी समाज से आते हैं. कुल मिलाकर JDU में लव-कुश जाति के लोगों को ही प्रमुख पदों पर बैठाया गया है.


यही वजह है कि अब नीतीश कुमार को लेकर अब यह सवाल उठने लगा है कि क्या नीतीश का सोशल इंजीनियरिंग लव कुश तक सिमट गया है. विपक्ष का आरोप है कि JDU एक जिला एक जाति की पार्टी बन गई है. 


RJD के शक्ति सिंह यादव ने राजद पर हमला करते हुए कहा, 'जेडीयू ने अपने सभी नियमों को तिलांजलि दे दिया है. मंत्री बनाने को लेकर 16 सांसदों में से जेडीयू ने किसी पर विश्वास नहीं किया. सीएम नीतीश ने विश्वास भी किया तो अपनी जाति और अपने जिला के राज्यसभा सदस्य पर किया है.'


वहीं, इस मामले में कांग्रेस प्रवक्ता राजेश राठौड़ ने कहा कि पिछड़ा, दलित और महिलाओं की बात करने वाले नीतीश कुमार ने वशिष्ठ नारायण सिंह, ललन सिंह, चंदेश्वर चंद्रवंशी, रामनाथ ठाकुर, संतोष कुशवाहा जैसे बड़े नेता और सामाजिक समीकरण को छोड़ एक अपने जाति के नेता को मंत्री भी बनवाया है और अपने जिला व जाति को देखकर उसी शख्स के हाथ पूरी पार्टी भी सौंप दिया है. इससे स्पष्ट है कि नीतीश कुमार को अपने जात और गृह जिले के लोग ही पसंद है.


हालांकि, विपक्ष के आरोपों को JDU की तरफ से खारिज किया जा रहा है. बीजेपी भी इसे ज्यादा तव्वजों नहीं दे रही है. लेकिन  एक बात तो है, जो समीकरण अभी तक JDU का दिल्ली से लेकर बिहार तक बना है, वो सिर्फ दो कास्ट के इर्द गिर्द है.