Bihar: स्वतंत्रता दिवस पर PM मोदी से मिलेंगे सीवान के मछली पालक मनोज सहनी, PMO से मिला निमंत्रण
मनोज को प्रधानमंत्री कार्यालय की ओर से निमंत्रण भेजा गया है. वह स्वतंत्रता दिवस पर दिल्ली में आयोजित प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना से संबंधित परिचर्चा में शामिल होंगे. इस बात से मनोज सहनी काफी खुश हैं.
Siwan Fish Farmer Manoj Sahani: सीवान के मत्स्य कृषक मनोज सहनी एक बार फिर चर्चाओं में हैं. इस बार उन्हें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का निमंत्रण मिला है. प्रधानमंत्री से मिलकर वह मछली पालन की जानकारी देंगे, जिससे देश के अन्य किसानों को भी लाभ मिल सके. मनोज को प्रधानमंत्री कार्यालय की ओर से निमंत्रण भेजा गया है. वह स्वतंत्रता दिवस पर दिल्ली में आयोजित प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना से संबंधित परिचर्चा में शामिल होंगे. इस बात से मनोज सहनी काफी खुश हैं. वे 14 अगस्त को दिल्ली के लिए रवाना हो जाएंगे और 15 अगस्त को पीएम मोदी से मुलाकात करेंगे.
भगवानपुर हाट प्रखंड के महम्मदपुर गांव के रहने वाले मनोज सहनी ने मत्स्य कृषक बन कर रोजगार के लिए मिशाल पेश की है. दिसंबर 2019 में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बहियारा चंवर स्थित मनोज सहनी के मत्स्य पालन केंद्र का निरीक्षण किया था और मत्स्य पालन के अलावा समेकित कृषि कार्य की भी सराहना की थी. जिसके बाद सीएम नीतीश ने मनोज सहनी के मत्स्य मॉडल को पूरे बिहार में लागू कर दिया. मनोज ने मत्स्य पालन एवं बीज उत्पादन के लिए पश्चिम बंगाल, मद्रास सहित कई राज्यों में प्रशिक्षण लिया है.
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बता दें कि उन्होंने बहियारा चंवर, महम्मदपुर चंवर, अरुआं चंवर में बेकार पड़ी करीब 65 बीघा जमीन को लीज पर लिया और उसमें 18 तालाब खुदवा कर मछली पालन का काम शुरू किया. इसमें 15 बीघा में बीज उत्पादन किया जा रहा है. उन्होंने बड़ी संख्या में इलाके के बेरोजगार युवाओं को रोजगार भी मुहैया कराया. उनके इस कार्य को देखने के लिए समय-समय पर अधिकारियों एवं विभागीय मंत्रियों का दौरा भी यहां होता रहता है.
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दिसंबर से मार्च के बीच मछली को बेचने के लिए तालाब से निकाला जाता है. पटना, मोतिहारी, छपरा, सिवान, गोपालगंज, हाजीपुर, मुजफ्फरपुर सहित अन्य जिले के मत्स्य व्यवसायी खरीदारी को पहुंचते हैं तथा अपने स्तर से भी मांग के अनुसार मछली उपलब्ध कराई जाती है.मनोज ने बताया कि मौसम ने साथ दिया तो एक वर्ष में करीब एक करोड़ का व्यवसाय हो जाता है.जिसमें करीब 45 लाख रुपया खर्च आता है.फिलहाल मछली की देखरेख के लिए करीब डेढ़ दर्जन लोग कार्य कर रहे हैं. जब मछली मारने का समय आता है तो इसमें सौ से अधिक मछुआरा कार्य करते हैं.
रिपोर्ट- अमित सिंह