मेडिकल और इंजीनियरिंग के नतीजों गिरता जा रहा है बिहार के बच्चों का ग्राफ, जानें वजह
पांच साल पहले तक स्थिति ये थी कि बिहार के छात्र टॉप 100 में अच्छी खासी संख्या में जगह बनाने में कामयाब होते थे लेकिन अब ये स्थिति नहीं है.
पटना: बिहार को कभी प्रतिभावान छात्राओं का गढ़ कहा जाता था लेकिन ऐसा लगता है कि अब ये बातें इतिहास में ही सिमट कर रह जाएंगी. ऐसा हम नहीं कह रहे है बल्कि हर साल प्रतियोगी परीक्षाओं के घोषित होने वाले नतीजे कह रहे हैं.
साल दर साल इंजीनियरिंग, मेडिकल के नतीजों में बिहार के छात्रों की हनक खत्म होती जा रही है. कभी टॉप 100 में जगह बनाने में माहिर बिहार के बच्चे अब टॉप 200 से बाहर हो रहे हैं. आखिर क्या है वजह?
देशभर के आईआईटी, एनआईटी कॉलेजों में दाखिले के लिए आयोजित जेईई एग्जाम के नतीजे आ चुके हैं. इसी तरह मेडिकल कॉलेजों में दाखिले के लिए आयोजित होने वाली परीक्षा नीट का परिणाम भी आ चुका है. इन दोनों परिणामों पर अगर आप गौर करेंगे तो पाएंगे कि बिहार का प्रदर्शन साल दर साल गिरता जा रहा है.
पांच साल पहले तक स्थिति ये थी कि बिहार के छात्र टॉप 100 में अच्छी खासी संख्या में जगह बनाने में कामयाब होते थे लेकिन अब ये स्थिति नहीं है. हालांकि JEE के पिछले दिनों घोषित नतीजों में बेगूसराय के अभिजीत को पूरे देश में 15वां रैंक मिला है लेकिन नीट के नतीजों में स्थिति और भी खराब है.
बेहतर माहौल का अभाव, प्रतिभाशाली बच्चों का दूसरे राज्यों में पलायन और बुनियादी शिक्षा की कमजोरी के कारण बिहार के बच्चों को अब पहले जैसी हनक और धमक नहीं रही है. खुद नेशनल इंस्टीट्यट ऑफ टेक्नॉलिजी के छात्र भी मानते हैं कि राज्य में मेडिकल और इंजीनियरिंग की पढ़ाई के लिए बुनियादी चीजें बदतर हो चुकी हैं.
बता दें कि इंजीनियरिंग कॉलेजों की रैंकिंग में एनआईटी पटना पूरे देश में 63वें स्थान पर है. सवाल ये है कि ऐसा कब तक चलता रहेगा? दरअसल, बिहार में वैसे अभिभावक जो साधन संपन्न हैं वो अपने बच्चों को दूसरे राज्यों में भेज देते हैं. ऐसे बच्चे दूसरे राज्यों से फॉर्म भरते हैं लिहाजा उनका जोन भी बदल जाता है.
बिहार अभी गुवाहाटी जोन में आता है और इस जोन का प्रदर्शन दूसरे जोन के मुकाबले ठीक नहीं है. नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नॉलिजी पटना के डायरेक्टर पीके जैन को बिहार के छात्रों की प्रतिभा पर संदेह नहीं है. गुवाहाटी जोन के मुकाबले दूसरे जोन के बेहतर होने को लेकर उनकी अपनी दलील है. वो भी मानते हैं कि बिहार के बच्चे दूसरे राज्यों में जाते हैं और इस वजह से ओवरऑल नतीजों में बिहार के बच्चे टॉप 100 या 200 में जगह नहीं बना पाते हैं.
कुछ ऐसा ही तर्क शिक्षा विशेषज्ञ आनंद कुमार भी मानते हैं. आनंद कुमार के मुताबिक, समय रहते चीजें दुरूस्त नहीं की गई तो बिहार की स्थिति ठीक नहीं रहेगी. कैसे गिरता गया पिछले पांच वर्षों में बिहार JEE के नतीजों में आइए आंकड़ों के जरिए जानते हैं
इस बार जेईई एडवांस के नतीजों में 15वें रैंक पर बेगूसराय के अभिजीत कुमार रहे.अभिजीत गोहाटी जोन टॉपर भी रहे. मेडिकल के आयोजित नीट के नतीजों में 64वें स्थान पर पटना के अक्षत रंजन रहे.
जेईई के नतीजों में साल 2020 और साल 2021 में बिहार के छात्र टॉप 100 से बाहर रहे. साल 2019 में टॉप 100 में सिर्फ एक बिहार के छात्र रहे.
साल 2018 में भी टॉप 100 में बिहार से एक भी छात्र जेईई एडवांस के नतीजों में शामिल नहीं रहे. हालांकि, बिहार के छात्र जेइइ और मेडिकल के नतीजों में बड़ी संख्या में जगह तो बनाते हैं लेकिन टॉप 100 या टॉप 200 में तेजी से संख्या कम हुई है. साल 2018 तक की स्थिति बेहतर कही जा सकती है.