Patna: बिहार (Bihar) में शारीरिक शिक्षकों की बहाली का मुद्दा सुलग उठा है. लंबे समय से इस मामले में सरकार की ढिलाई पर हाईकोर्ट (HC) ने नाराजगी भी जताई है और जल्द से जल्द नियुक्ति प्रक्रिया पूरी करने का आदेश दिया है. दरअसल, बिहार में शारीरिक शिक्षकों की भर्ती को लेकर विवाद लगभग 5 साल से चल रहा है. साल 2015 में केंद्र सरकार ने इसको लेकर एक नीति बनाई थी. इस नीति के तहत देश के सभी विद्यालयों में कम से कम एक-एक फिजिकल टीचर की नियुक्ति अनिवार्य कर दी गई. केंद्र सरकार की इस नीति को बिहार सरकार ने भी जल्द लागू करने का फैसला किया था.


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लेकिन केंद्र सरकार की उस नीति के बनने के 6 साल बाद भी बिहार में एक भी शारीरिक शिक्षक की नियुक्ति नहीं की गई. इस दौरान इस मामले में जनहित याचिका कोर्ट में दाखिल की गई थी. जनहित याचिका पर कई बार सुनवाई हुई और कोर्ट ने बिहार सरकार को जल्द से जल्द फिजिकल टीचर की बहाली करने को कहा है. कोर्ट के आदेश के बाद भी किसी न किसी कारण से बिहार सरकार ने बहाली नहीं की है, हालंकि इस दौरान बहाली की प्रक्रिया जरूर चलती रही.


'फिजिकल टीचर पर उदासीन सरकार' 


बिहार में जब फिजिकल टीचर की बहाली पर चर्चा शुरु हुई, तो सरकार ने 8 हज़ार से भी ज्यादा शिक्षकों की नियुक्ति का फैसला किया था. इस दौरान सरकार की लेटलतीफी पर जब मामला हाईकोर्ट में गया, तब सरकार ने बहाली की प्रक्रिया शुरु की. बहाली की प्रक्रिया आगे बढ़ती रही और ये मामला कोर्ट में भी चलता रहा. दरअसल, सरकार की प्रक्रिया इतनी सुस्त रही कि जनहित याचिका के जरिए सरकार पर नकेल कसने के प्रयास भी होते रहे हैं. हाईकोर्ट में हर सुनवाई पर सरकार की यही दलील सामने आती रही कि 'बहाली की प्रक्रिया चल रही है'.


साल 2019 में कोर्ट ने शिक्षा विभाग को तलब किया. जिसके बाद शिक्षा विभाग के तत्कालीन अपर मुख्य सचिव को कोर्ट में हाजिर होना पड़ा. अपर मुख्य सचिव ने कोर्ट में अंडरटेकिंग दी कि 30 अप्रैल, 2020 तक शिक्षकों की बहाली पूरी कर ली जाएगी. इस दौरान फिजिकल टीचर के लिए ली गई परीक्षा का अंतिम परिणाम भी जनवरी, 2020 में आ गया, लेकिन सब कुछ होने के बाद भी लगभग साढ़े तीन हज़ार सफल अभ्यर्थियों को नियुक्ति पत्र नहीं दिया गया और बहाली का मामला अब भी अधर में लटका हुआ है.


'हाईकोर्ट के आदेश की 'अनदेखी' क्यों'



बिहार में फिजिकल टीचर परीक्षा में सफल अभ्यर्थियों को नियुक्ति पत्र नहीं मिलने पर विपक्ष भी हमलावर है. विपक्ष इस मामले में सरकार को घेरने में कोई कसर बाकी नहीं छोड़ रहा है. विपक्ष तो सीधा-सीधा सरकार की नीयत में ही खोट बता रहा है. विपक्ष का कहना है कि ये सरकार हाईकोर्ट के आदेश की भी अनदेखी कर रही है. सरकार इस हद तक चली गई है कि कोर्ट में झूठी अंडरटेकिंग देती है. कोर्ट की फटकार के बाद पहले तो डेडलाइन देती है और उसके बाद खुद डेडलाइन का उल्लघंन करती है. पिछले साल ही सरकार ने 30 अप्रैल, 2020 तक नियुक्ति हो जाने की बात कही थी. लेकिन डेडलाइन को बीते हुए भी सवा साल हो गया है. जबकि बहाली की प्रक्रिया अब भी अधर में है'.


विपक्ष ने सरकार से कड़े सवाल भी पूछे हैं. विपक्ष ने पूछा है कि क्यों नहीं ये माना जाए कि शारीरिक शिक्षकों की भर्ती के मामले में सरकार की नीयत में ही खोट है? अगर कोरोना काल में दूसरे विभागीय कार्य हो सकते हैं, तो इन साढ़े तीन हज़ार सफल अभ्यर्थियों को नियुक्ति पत्र क्यों नहीं सौंपा जा सकता है? अगर भर्ती नहीं करनी थी तो केंद्र की नीति को लागू करने में इतनी तेजी क्यों दिखाई थी?


इसको लेकर फिजिकल टीचर अभ्यर्थी लंबे समय से सड़कों पर आंदोलन कर रहे हैं, लेकिन अब तक सरकार की तरफ से उन्हें कोई निश्चित जवाब नहीं मिला है. इस बीच जून के आखिरी हफ्ते में एक बार फिर हाईकोर्ट में सुनवाई हुई है. कोर्ट ने सरकार को दो सप्ताह के भीतर बहाली को लेकर ठोस और सकारात्मक कदम उठाने के निर्देश दिए हैं.


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वहीं, इस मामले की अगली सुनवाई 2 अगस्त को हाईकोर्ट में होने वाली है. सरकार ने भरोसा दिया है कि 15 अगस्त से पहले शारीरिक शिक्षक भर्ती के मामले में सुखद परिणाम आएंगे. सबकी नजर एक बार फिर सरकार के नए वादे पर टिकी है.