पटना: बिहार के नियोजित शिक्षकों ने एक बार फिर सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है. इस बार उनका विरोध ट्रांसफर-पोस्टिंग नियमों में किए गए संशोधनों को लेकर है. नियोजित शिक्षक संघ के अध्यक्ष राहुल राज और अन्य शिक्षकों का आरोप है कि सरकार नए नियमों में पुरुष शिक्षकों के साथ भेदभाव कर रही है. नए नियमों के अनुसार पुरुष शिक्षकों को उनके गृह अनुमंडल, कार्य अनुमंडल या ससुराल अनुमंडल में पोस्टिंग का विकल्प नहीं दिया जा रहा है, जो उनके अनुसार अन्यायपूर्ण है.


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पुरुष शिक्षकों का कहना है कि उन्हें भी महिलाओं की तरह दस पंचायतों में ट्रांसफर के विकल्प मिलने चाहिए. शिक्षक संघ के अध्यक्ष राहुल राज का कहना है कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने वादा किया था कि सक्षमता परीक्षा पास करने वाले शिक्षकों को राज्यकर्मी का दर्जा मिलेगा और उसी आधार पर ट्रांसफर-पोस्टिंग होगी. परंतु नए नियमों में पुरुष शिक्षकों के लिए यह सुविधा नहीं दी गई है, जिससे वे नाखुश हैं.


इसके अलावा पूर्व ACS केके पाठक ने भी पहले आश्वासन दिया था कि राज्यकर्मी का दर्जा मिलने के बाद शिक्षकों को उनके नजदीकी शहरों में पोस्टिंग दी जाएगी. लेकिन जब सात नवंबर से ऑनलाइन आवेदन फॉर्म भरवाए जा रहे हैं, तब पुरुष शिक्षकों के लिए गृह अनुमंडल, अनुमंडल और ससुराल अनुमंडल में पोस्टिंग का विकल्प नहीं दिया गया है. इससे शिक्षकों में नाराजगी है और वे मानते हैं कि सरकार जानबूझकर पुरुष शिक्षकों को उनके क्षेत्र से बाहर पोस्टिंग देना चाहती है.


शिक्षकों का कहना है कि कुल मिलाकर लगभग 1.87 लाख नियोजित शिक्षक इस फैसले से प्रभावित हो रहे हैं और वे इसे भेदभावपूर्ण मान रहे हैं. शिक्षकों ने सरकार से मांग की है कि उन्हें भी समान रूप से विकल्प दिए जाएं, ताकि वे अपने गृह क्षेत्र में कार्य कर सकें.


इनपुट- धनंजय द्विवेदी


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