पटना : Caste Based census in Bihar: बिहार में नीतीश सरकार की तरफ से 7 जनवरी से जातिगत जनगणना का काम शुरू हो चुका है. नीतीश सरकार की तरफ से मई तक इस काम को पूरा करने का प्लान है. हालांकि इसके शुरू होते ही बिहार की सियासत गर्म हो गई है. इसको लेकर बिहार में सियासी बयानबाजी तेज है. जातिगत जनगणना को शुरू करने को लेकर बिहार सरकार की तरफ से तर्क दिया जा रहा है कि ऐसा करने से गैर एससी, एसटी और अन्य पिछड़ा वर्ग के लोगों की सही जानकारी सरकार के पास होगी जिसके जरिए सरकारी योजनाओं का  लाभ उनतक पहुंच पाएगा. वहीं इसका विरोध कर रहे नेताओं का कहना है कि यह समाज को जाति में बांटने की साजिश है. अगर सर्वे कराना ही था तो आर्थिक आधार पर सर्वे कराया जाना था ताकि सरकारी योजनाओं का लाभ हर वर्ग के आर्थिक रूप से कमजोर लोगों को मिलता. 


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बिहार सरकार की तरफ से इस जातिगत जनगणना के लिए 500 करोड़ रुपए खर्च होने हैं.हालांकि इसे जातिगत जनगणना का नाम नहीं दिया गया है लेकिन इतना है कि इसमें जाति के आधार पर आंकड़े इकट्ठा किए जाएंगे. अब इस मामले में नीतीश कुमार के समर्थन में कई अन्य दलों के राजनेता भी आ गए हैं, दरअसल जातिगत जनगणना की मांग समय-समय पर कई दलों के नेता और कई प्रदेशों में उठाए जाते रहे हैं. ऐसे में अब नीतीश कुमार के इस फैसले के समर्थन में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) नेता शरद पवार भी आ गए हैं. 


शरद पवार के इस समर्थन के बाद लोगों को लगने लगा है कि अब महाराष्ट्र में भी इसकी मांग तेज हो सकती है. दरअसल नीतीश के समर्थन में उन्होंने कहा कि वह भी कई वर्षों से राज्य में जाति आधारित जनगणना की मांग करते रहे हैं. बता दें कि शरद पवार पूरे देश में जाति आधारित जनगणना की मांग पहले से करते रहे हैं. हालांकि अभी केंद्र की एनडीए सरकार और इससे पूर्व केंद्र की यूपीए सरकार दोनों इस मामले को लेकर सहमत नहीं रहे हैं. 


बिहार में इस जातिगत जनगणना के शुरू होते ही आपको बता दें कि अब इस बात की संभावना प्रबल हो गई है कि इस तरह की मांग कई राज्यों में उठने के साथ केंद्र सरकार पर भी इसका दबाब बढ़ने वाला है. शरद पवार के बयान के बाद इस तरह के संकेत मिलने शुरू हो गए हैं. पवार की मानें तो समाज में समानता को स्थापित करने के लिए यह किया जाना जरूरी है. उनका कहना है कि जिसका जो हक है वह उसे मिलना चाहिए ऐसे में इसकी जरूरत ज्यादा है. 


ऐसे में बिहार में होने वाले इस जाति आधारित जनगणना के बाद केंद्र सरकार पर भी इसको लेकर प्रेशर बढ़ेगा. महाराष्ट्र में जहां बीजेपी सरकार है वहां पवार के इस बयान के बाद सियासत तेज हो सकती है. 


हालांकि बिहार से पहले राजस्थान और कर्नाटक में जातिगत जनगणना कराई गई थी. बता दें कि इसकी वजह से इन दो में से एक राज्य में तो सरकार को बहुमत तक खोना पड़ गया था और सरकार गिर गई थी. जिन दो राज्यों में अब तक जातिगत जनगणना हुई वहां कांग्रेस की सरकार थी और वहां की रिपोर्ट आजतक सार्वजनिक नहीं हो पाई है.


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